न जाने कितनों की सूनी है कलाई
कितनी ही बहनों से दूर है उनके भाई
मिले जो कोई ऐसा भाई,
भर देना उसकी सूनी कलाई
क्योंकि रक्षा को देश के
मर मिटने की कसम है उसने खायी
Image source - @google
हम सब बेफिक्र होकर अपने परिवार के साथ त्योहार मनाते हैं
उसकी असल वजह है कि हम जानते हैं कि हमारी रक्षा के लिए सरहद पर जवान और देश के अन्दर पुलिस के तमाम सिपाही मौजूद हैं तो त्योहारो में अपने परिवार से दूर रहने वाले जवानों और सिपाहियों को अपने साथ शामिल करे जिससे उनका मनोबल और बढ़ सके |
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तुम रखना अपना ख्याल,
मैंने ख्यालों में तुम्हें अपने रख रखा है
तुम रखना मेरी यादों को सम्हाल,
मैंने यादों में अपनी तुम्हें सम्हाल रखा है
तुम लेना अपने अन्दर मेरे दिल को बसा,
मैंने दिल में अपने तुम्हें बसा के रखा है
उसके एक नज़र पाने को घंटों श्रंगार करती हूं
प्रेम पथ पर थोड़ा- थोड़ा रोज आगे बढ़ती हूं
वैसे तो शरीफ़ सा है वो लड़का
मगर रोज चौराहे पर बस
मेरे इंतजार आवारा सा खड़ा रहता है
कहता तो कुछ नहीं मगर
नज़रें मिलते ही बस हल्का सा वो हस देता है
मैं भी तब शर्म से नज़रें झुका लेती हूं
दबी सी जुबान से थोड़ा सा मुस्कुरा देती हूं
आज कल यही सिलसिला हर रोज चल रहा है
कौन पहले पहल करेगा
इसी असमंजस में रह रोज कट रहा है ?
तुम्हारा मुझे मिल जाना
कुछ ऐसा है जैसे
गुमनाम सी एक कविता को
उसका शीर्षक मिल जाना
संस्कृत के अधूरे से शब्द का
हलंत लगते ही पूर्ण हो जाना
यूं तो कोई कमी नहीं थी जीने में
पर हां कुछ खाली सा था इस सीने में
सुनो प्रिय! अब ये कमी तुम पूरी कर देना
मेरे दिल के साथ-साथ
मेरे जीवन को भी खुशियों से भर देना
सुनो, अप्रैल भी आ गया है
तुम भी चली आओ न
चिलचिलाती गर्मी में,
ठंडी पुरवइया बनके
तपती सी धूप में,
पेड़ की छाया बनके
सुनो, चली आओ
अब चलना है तुमको,
मुझ संग मेरा साया बनके
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