Yãsh BøRâ

Yãsh BøRâ Lives in Didihat, Uttarakhand, India

Modern Poet ❤

https://instagram.com/insane_poet21?igshid=g04vvreuahms

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

गुजरता वक्त राहों से पता नहीं पूछता मंजिलों को वह खुद बनाए चलता है गुफ्तगू करता मुश्किलों से वह खुद राहों में मुश्किलें बनाएं चलता है जिस के नक्शों पर अनेकों बाधाएं बाहें फैलाए खड़ी रहती हैं चुनौतियों का दीदार किए वह खुद जश्नों के घर बनाए चलता है तय करना अनुभवों के अनुसरणों के खोजों पर चलना क्योंकि बड़ा जिद्दी है ये वक्त कमजोर खड़े दरख़्तो को ढहाए चलता है ©Yãsh BøRâ

#कविता #Dark  गुजरता वक्त राहों से पता नहीं पूछता
मंजिलों को वह खुद बनाए चलता है
गुफ्तगू करता मुश्किलों से 
वह खुद राहों में मुश्किलें बनाएं चलता है
जिस के नक्शों पर अनेकों बाधाएं 
बाहें फैलाए खड़ी रहती हैं 
चुनौतियों का दीदार किए
वह खुद जश्नों के घर बनाए चलता है
तय करना अनुभवों के अनुसरणों के 
खोजों पर चलना
क्योंकि बड़ा जिद्दी है ये वक्त
कमजोर खड़े दरख़्तो को ढहाए चलता है

©Yãsh BøRâ

#Poetry #Dark

9 Love

कितने दिन और जीना होगा उम्मीदों के सिरहाने सर छुपाए बेचैनियों की शानो में गुस्ताखीयों के सर टिकाए दूर दूर तक नजर नहीं आते आने वाले डर था कि कहीं आ ना जाए चाहतों ने डर के विकल्प को थामे रखा या यूं कहूं की स्थिरता को जाने दिया ठीक उसी तरह जिस तरह मुसाफिर जाते हैं अनजान राहों को अजनबीयों की राह ताके बेनाम खोजों पर ©Yãsh BøRâ

#कविता #waiting  कितने दिन और जीना होगा 
उम्मीदों के सिरहाने सर छुपाए
बेचैनियों की शानो में गुस्ताखीयों के सर टिकाए
दूर दूर तक नजर नहीं आते आने वाले 
डर था कि कहीं आ ना जाए 
चाहतों ने डर के विकल्प को थामे रखा 
या यूं कहूं की स्थिरता को जाने दिया
ठीक उसी तरह जिस तरह मुसाफिर जाते हैं 
अनजान राहों को अजनबीयों की राह ताके
बेनाम खोजों पर

©Yãsh BøRâ

#waiting

10 Love

कितना शांत होता है ना अंधेरा समीप अपने गहरे राज़ छुपाए रहता भी उन खंडहरों में है रोशनियों की जहा आंच ना आए शांत शीतल स्वभाव उसका,भला डर कैसा जागो अपने आप में तोह अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है फिर अंधेरों का दोष कैसा? क्या उजालों की कीमत होती अंधेरा ही ना होता जब क्या शामें मस्तानी होती अंधेरा ही ना होता जब क्या राते दीवानी होती अंधेरा ही ना होता जब पूछो सवाल खुदसे तोह क्या कुछ बयां नहीं होता कभी खामोशियां ही बोल जाती है जवाब हम से बया ना होता ©Yãsh BøRâ

#कविता #Dark  कितना शांत होता है ना अंधेरा
समीप अपने गहरे राज़ छुपाए
रहता भी उन खंडहरों में है
रोशनियों की जहा आंच ना आए
शांत शीतल स्वभाव उसका,भला
डर कैसा जागो अपने आप में तोह
अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है 
फिर अंधेरों का दोष कैसा?
क्या उजालों की कीमत होती 
अंधेरा ही ना होता जब 
क्या शामें मस्तानी होती 
अंधेरा ही ना होता जब 
क्या राते दीवानी होती 
अंधेरा ही ना होता जब
पूछो सवाल खुदसे तोह 
क्या कुछ बयां नहीं होता 
कभी खामोशियां ही बोल जाती है 
जवाब हम से बया ना होता

©Yãsh BøRâ

#Dark

10 Love

सिमट कर रहे यादों में तुम्हारी सालों से हकीक़त जो इक रोज बहा के ले चली साथ अपने तोह जिंदगी का आशय समझ आया बनती रही राहों में कटपुतलिया बंधनों की अनेकों नजाने लड़ते रहे अनगिनत ख्वाहिशों के लिए जीवन कटा अच्छा बुरा उम्र जो बीती इक वक्त तोह जीने का आशय समझ आया ©Yãsh BøRâ

#कविता  सिमट कर रहे यादों में तुम्हारी सालों से
हकीक़त जो इक रोज 
बहा के ले चली साथ अपने
तोह जिंदगी का आशय समझ आया

बनती रही राहों में कटपुतलिया बंधनों की 
अनेकों नजाने
लड़ते रहे अनगिनत ख्वाहिशों के लिए
जीवन कटा अच्छा बुरा
उम्र जो बीती इक वक्त तोह
जीने का आशय समझ आया

©Yãsh BøRâ

#Thoughts

11 Love

अफसोस होता है कई दफा मुझे खुद पर मैं बैठता हूं रोने रातों में देखते ही देखते ये अफसोस मेरा हिम्मत में बदल जाता है मैं पाता हूं खोया हुआ खुद को,वक्त में किसी रेत सा वो वक्त मेरे हाथों से फिसल जाता है और आखिर में बचती है आखों के तले की वो टेहरी नमी मुझे एहसास होता है वक्त गुजर चुका अच्छा या बुरा मालूम नही वक्त है वो तो यूं ही गुजर जाता है और इस तरह वो क्रम मुझे फिर एक बार दोहराता है ©Yãsh BøRâ

#कविता #nojoto2021 #dryleaf #Broken #tears  अफसोस होता है कई दफा 
मुझे खुद पर
मैं बैठता हूं रोने रातों में
देखते ही देखते ये अफसोस मेरा
हिम्मत में बदल जाता है
मैं पाता हूं खोया हुआ 
खुद को,वक्त में
किसी रेत सा वो वक्त
मेरे हाथों से फिसल जाता है
और आखिर में बचती है
आखों के तले की 
वो टेहरी नमी
मुझे एहसास होता है
वक्त गुजर चुका 
अच्छा या बुरा मालूम नही
वक्त है वो तो यूं ही गुजर जाता है
और इस तरह वो क्रम मुझे 
फिर एक बार दोहराता है

©Yãsh BøRâ

#tears #tear #SAD #Broken #Nojoto #nojoto2021 #Poetry #Shayari #poem #dryleaf

10 Love

जिन नज़रों से चाहा था तुझे उन राहों में इश्क़ के सिवा कुछ और दिखा ही ना था बैठे रहे हम भी इंतजार के उन पलों में कमबख्त मुक़द्दर में जो कभी लिखा ही ना था ©Yãsh BøRâ

#waiting  जिन नज़रों से चाहा था तुझे

उन राहों में इश्क़ के सिवा
कुछ और दिखा ही ना था

बैठे रहे हम भी इंतजार के
उन पलों में

कमबख्त 
मुक़द्दर में जो कभी 
लिखा ही ना था

©Yãsh BøRâ

#waiting

10 Love

Trending Topic