Divakar Vikram

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#Happiness #ghazal
#ख़्वाब_और_हक़ीक़त_के_दरम्यान #Poetry_recitation❤️😘
#free_style_poetry_reciting #first_recording

एक तो ये मेरा तज़ुर्बा है के तुमसे इश्क़ है बस और तुमने भी यही कहा है के तुमसे इश्क़ है बस ये रदीफ़े ये काफ़िये जैसे मुस्कुराने लगे हैं शायद ग़ज़लों ने ज़िक्र किया है के तुमसे इश्क़ है बस ताज़्ज़ुब है के तुम अनजान हो तो भला हो कैसे के सारे शहर को पता है के तुमसे इश्क़ है बस सबूत-ए-इश्क़ और क्या के मेरे घर की दीवार-ओ-दर पे लिखा है के तुमसे इश्क़ है बस सारी दलीलें झूठी हैं, सारे दावे ये फ़र्ज़ी हैं मुझे बस इतना पता है के तुमसे इश्क़ है बस

#के_तुमसे_इश्क़_है_बस😍😘  एक तो ये मेरा तज़ुर्बा है के तुमसे इश्क़ है बस
और तुमने भी यही कहा है के तुमसे इश्क़ है बस
ये रदीफ़े ये काफ़िये जैसे मुस्कुराने लगे हैं
शायद ग़ज़लों ने ज़िक्र किया है के तुमसे इश्क़ है बस
ताज़्ज़ुब है के तुम अनजान हो तो भला हो कैसे
के सारे शहर को पता है के तुमसे इश्क़ है बस
सबूत-ए-इश्क़ और क्या के मेरे घर की 
दीवार-ओ-दर पे लिखा है के तुमसे इश्क़ है बस
सारी दलीलें झूठी हैं, सारे दावे ये फ़र्ज़ी हैं
मुझे बस इतना पता है के तुमसे इश्क़ है बस

बसंती मार्च की वो रंग भरी दुपहरी रंगों से सराबोर लोग और वहीं कहीं खड़ा मैं ढूँढता रहा हूँ तुम्हें दोनो मुठ्ठियों में लिए गुलाल हर आहट हर दस्तक़ पर नज़रे उधर उधर सीढ़ियों वाली चौखट पर ठिठक जाती रही हैं हर दफ़ा... हर दफ़ा वो मुठ्ठियाँ किसी और के गालों पर छपती, खुलती, सिमटती रही हैं हर दफ़ा मेरे पाँव किसी और के साथ थिरकते रहे हैं हर दफ़ा इशारों इशारों में बिरजू वही एक सवाल पूछता रहा है हर दफ़ा सीढ़ियों पर रंग गिरता रहा है और आख़िर तक ठीक आख़िर तक तुम्हरा... बस तुम्हारा इंतज़ार होता रहा है वो पीला गुलाल मेरे शर्ट की ज़ेब में अब भी रक्खा पड़ा है !!

#वो_पीला_गुलाल  बसंती मार्च की वो
रंग भरी दुपहरी
रंगों से सराबोर लोग
और वहीं कहीं खड़ा मैं
ढूँढता रहा हूँ तुम्हें
दोनो मुठ्ठियों में लिए गुलाल
हर आहट हर दस्तक़ पर
नज़रे उधर
उधर
सीढ़ियों वाली चौखट पर
ठिठक जाती रही हैं

हर दफ़ा...
हर दफ़ा
वो मुठ्ठियाँ
किसी और के गालों पर
छपती, खुलती, सिमटती रही हैं
हर दफ़ा
मेरे पाँव
किसी और के साथ
थिरकते रहे हैं
हर दफ़ा
इशारों इशारों में
बिरजू वही एक सवाल
पूछता रहा है
हर दफ़ा
सीढ़ियों पर 
रंग गिरता रहा है
और आख़िर तक
ठीक आख़िर तक
तुम्हरा...
बस तुम्हारा
इंतज़ार होता रहा है

वो पीला गुलाल
मेरे शर्ट की ज़ेब में
अब भी रक्खा पड़ा है !!

आज बहुत मन था मेरा तुमपे कविता लिखने का वो नई नई दिखी हो न तुम बस इसीलिए... और बस वही सब तुम ऐसी लगती हो वैसी लगती हो फलाना तुमसे सुंदर नही है ढिमाका तमसे बेहतर नही है तुममे ये ख़ूबी है ये ख़ामी है और ख़ामी भी मुझे पसंद है अरे ! ... वही तवज़्ज़ो, तारीफ़ वाली बातें वही ...जो सब लिखते हैं या लिखते होंगे फ़िर नही लिखा कुछ नही लिखा कुछ भी नही लिखा शायद ज़रूरत नही है फ़र्ज़ी ये सब लिखने की अच्छी लगती हो तो लगती हो प्यार है तो है बस ... और क्या ...!!

#free_style_poetry  आज बहुत मन था मेरा
तुमपे कविता लिखने का
वो नई नई दिखी हो न तुम
बस इसीलिए...

और बस वही सब
तुम ऐसी लगती हो
वैसी लगती हो
फलाना तुमसे सुंदर नही है
ढिमाका तमसे बेहतर नही है
तुममे ये ख़ूबी है
ये ख़ामी है
और ख़ामी भी मुझे पसंद है
अरे ! ...
वही तवज़्ज़ो, तारीफ़ वाली बातें
वही ...जो सब लिखते हैं
या लिखते होंगे

फ़िर नही लिखा
कुछ नही लिखा
कुछ भी नही लिखा
शायद ज़रूरत नही है
फ़र्ज़ी ये सब लिखने की

अच्छी लगती हो तो लगती हो
प्यार है तो है
बस ...
और क्या ...!!
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