Vikas Gupta

Vikas Gupta

  • Latest
  • Popular
  • Video

एक मित्र से हुई बड़े दिनों बाद मुलाकात हमारा हुलिया देख शुरू हो गए उनके सवालात ये क्या ढाढ़ी क्यों बढ़ाई, बाल क्यों नही कटवाए बोला उन्होंने कोई मन्नत ठानी है क्या ,तो बतलाए हमने कहा, हमने कोई भी मन्नत नही ठानी है ये जो आप देख रहे है सब बेरोजगारी की निशानी है क्या कहा आप बेरोजगार है ? अरे आप तो चौँक रहे है ऐसे , मानो हम आपके गुन्हेगार है उन्होंने कहा, अब आगे क्या सोचा है हमने कहा, 5 रुपये का धनिया और फ्री मे एक टुकडा अदरक सोचा है वो बोले, महोदय आपकी सोच को नमस्कार लेकिन क्या आपकी प्रियतमा को है स्वीकार अरे! उनको क्या ऐतराज हो सकती है खर्चे उठाने के लिए उनके पास है बहुत से यार वो बोले, महोदय मेरा सीधा सवाल, कब कमाओगे? हमने कहा, हमें अपने घर कब बुलाओगे? क्या मतलब? महमान बनाकर घर ले जाओ, डिनर पर सारी बात पाओ सावन का महीना है ये महोदय चिकन नही शाही पनीर खिलाओ –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#कविता #worldpostday  एक मित्र से हुई बड़े दिनों बाद मुलाकात
हमारा हुलिया देख शुरू हो गए उनके सवालात

ये क्या ढाढ़ी क्यों बढ़ाई, बाल क्यों नही कटवाए
बोला उन्होंने कोई मन्नत ठानी है क्या ,तो बतलाए

हमने कहा, हमने कोई भी मन्नत नही ठानी है
ये जो आप देख रहे है सब बेरोजगारी की निशानी है

क्या कहा आप बेरोजगार है ? 

अरे आप तो चौँक रहे है ऐसे ,
 मानो हम आपके गुन्हेगार है

उन्होंने कहा, अब आगे क्या सोचा है
 हमने कहा, 5 रुपये का धनिया
और फ्री मे एक टुकडा अदरक सोचा है

वो बोले, महोदय आपकी सोच को नमस्कार
लेकिन क्या आपकी प्रियतमा को है स्वीकार

अरे! उनको क्या ऐतराज हो सकती है
खर्चे उठाने के लिए उनके पास है बहुत से यार

वो बोले, महोदय मेरा सीधा सवाल, कब कमाओगे? 
हमने कहा, हमें अपने घर कब बुलाओगे? 
क्या मतलब? 
महमान बनाकर घर ले जाओ, डिनर पर सारी बात पाओ
सावन का महीना है ये महोदय चिकन नही शाही पनीर खिलाओ

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

White एक दफ्तर के बाबू ने काम क्या छोड़ा हँसने के लिए आ गया पूरा शहर दौड़ा एक ने कहा, अरे! भाई अभी-अभी तो नौकरी लगी थी फिर ऐसा क्या हुआ की नौकरी छोड़नी पड़ी? बगल खड़ी मौसी भी बोल पड़ी अरे इतनी सी तंख्वाह मे पूरा दिन काम कराते है खाना खाने का भी समय, समय देखकर बताते है अभी भी तो बच्चा है ,कहाँ ये सब झेल पायेगा अच्छा है कल से उस बंदी खाने मे नही जायेगा समय भी सोच रहा, मुँह पे चिंता मन मे मुस्कुराहट आज वही हो रहा है जो थी इनकी चाहत बुजुर्ग ने भी बोल दिया अब अकेले पाठक जी कितना संभालएंगे बुढी उम्र मे कितना कमाएंगे कितना खायेंगे ये आज कल के बच्चे न जाने किसकी बात मानते है हालातों को नजरंदाज कर सिर्फ अपना पेट भरना जानते है दफ्तर का बाबू हैरान है उसके आस पास उससे ज्यादा लोग परेशान है पाठक जी के घर पे चल रहा युद्ध घमासान था पूरा का पूरा घर आज संसदे हिंदुस्तान था अरे भाई शांत रहो अब कुछ लड़के को भी कहने दो आँखे झुकी हुई लड़के ने कहा ,कोशिश जारी है –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#akshaya_tritiya_2024 #कविता  White एक दफ्तर के बाबू ने काम क्या छोड़ा
हँसने के लिए आ गया पूरा शहर दौड़ा
एक ने कहा, 
अरे! भाई अभी-अभी तो नौकरी लगी थी
फिर ऐसा क्या हुआ की नौकरी छोड़नी पड़ी? 
बगल खड़ी मौसी भी बोल पड़ी
अरे इतनी सी तंख्वाह मे पूरा दिन काम कराते है
खाना खाने का भी समय, समय देखकर बताते है
अभी भी तो बच्चा है ,कहाँ ये सब झेल पायेगा
अच्छा है कल से उस बंदी खाने मे नही जायेगा
समय भी सोच रहा, 
मुँह पे चिंता मन मे मुस्कुराहट 
आज वही हो रहा है जो थी इनकी चाहत
बुजुर्ग ने भी बोल दिया
अब अकेले पाठक जी कितना संभालएंगे 
बुढी उम्र मे कितना कमाएंगे कितना खायेंगे 
ये आज कल के बच्चे न जाने किसकी बात मानते है
हालातों को नजरंदाज कर सिर्फ अपना पेट भरना जानते है

दफ्तर का बाबू हैरान है
उसके आस पास उससे ज्यादा लोग परेशान है

पाठक जी के घर पे चल रहा युद्ध घमासान था
पूरा का पूरा घर आज संसदे हिंदुस्तान था

अरे भाई शांत रहो अब कुछ लड़के को भी कहने दो
आँखे झुकी हुई लड़के ने कहा ,कोशिश जारी है 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

Jai shree ram नमन है, नमन है उन सभी को नमन है राम मंदिर के सभी शूरवीरों को नमन है आज जब सपना साकार है तो क्यों पीछे है आप ऋणी है हम उनके आओ करे उनपर वार्तालाप ऋणी है हम बाबा फकीर सिंह खालसा और उनके साथ 24 सिखों का जिन्होंने इसका आगाज किया विवादित दीवारो पर राम - राम लिखकर राम मंदिर का कारसाज किया जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के एक गवाही से अयोध्या विवाद की पूरी गुत्थी सुलझ पायी जब जोर दिया जा रहा था राम काल्पनिक है तब इन्होंने पूरी दुनिया को अपने ज्ञान की समझ दिखायी ऋणी है हम उन कोठारी बंधुओं के जिनके परक्राम से राम के विरोधी थर -थराये थे गोलियां खाकर दम तोड़ने से पहले यही है वो जो विवादित ढांचे पर हिंदू धर्म का झंडा फहराये थे राम मंदिर के योगदान मे के.परसरन जी ने अतुल्य योगदान दिया है एक 95 साल के शख्स ने अपने शास्त्रो के ज्ञान के बल पर विपक्षी दल के सभी दलीले खारिज कर हमे आज ये सम्मान दिया है ऋणी है हम उन सभी के जिसने राम मंदिर बनने का सपना देखा हर उस शख्स का जिन्होंने हमेशा ही राम को अपना देखा जाने कितनी जान चली गयी इस ऐतिहासिक पल के इंतजार मे और जब वो पल आज सच हो गया है तो क्यों पड़े है आप लोगो के विचार मे ये पल इतना बड़ा है,ये खुशी इतनी दिव्य है कि हर इंसान जिसने राम मंदिर बनाने मे सहयोग दिया क्यों करे उसे श्रेय देने से इनकार मत सोचो दूसरा खेमा क्या कहेगा खुलकर करो उन सभी लोगो का आभार जय श्री राम 🙏 –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#कविता #JaiShreeRam  Jai shree ram नमन है, नमन है उन सभी को नमन है
राम मंदिर के सभी शूरवीरों को नमन है
आज जब सपना साकार है तो क्यों पीछे है आप
ऋणी है हम उनके आओ करे उनपर वार्तालाप

ऋणी है हम बाबा फकीर सिंह खालसा और उनके साथ 24 सिखों का जिन्होंने इसका आगाज किया
विवादित दीवारो पर राम - राम लिखकर राम मंदिर का कारसाज किया

 जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के एक गवाही से अयोध्या विवाद की पूरी गुत्थी सुलझ पायी
जब जोर दिया जा रहा था राम काल्पनिक है तब इन्होंने पूरी दुनिया को अपने ज्ञान की समझ दिखायी

ऋणी है हम उन कोठारी बंधुओं के जिनके परक्राम से   राम के विरोधी थर -थराये थे
गोलियां खाकर दम तोड़ने से पहले यही है वो जो विवादित ढांचे पर हिंदू धर्म का झंडा फहराये थे

राम मंदिर के योगदान मे के.परसरन जी ने अतुल्य योगदान दिया है
एक 95 साल के शख्स ने अपने शास्त्रो के ज्ञान के बल पर विपक्षी दल के सभी दलीले खारिज कर हमे आज ये सम्मान दिया है

ऋणी है हम उन सभी के जिसने राम मंदिर बनने का सपना देखा
हर उस शख्स का जिन्होंने हमेशा ही राम को अपना देखा
जाने कितनी जान चली गयी इस ऐतिहासिक पल के इंतजार मे
और जब वो पल आज सच हो गया है तो क्यों पड़े है आप लोगो के विचार मे

ये पल इतना बड़ा है,ये खुशी इतनी दिव्य है कि
हर इंसान जिसने राम मंदिर बनाने मे सहयोग दिया क्यों करे उसे श्रेय देने से इनकार
मत सोचो दूसरा खेमा क्या कहेगा खुलकर करो उन सभी लोगो का आभार
जय श्री राम 🙏

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

आजकल दिखावे का चलन है लगभग हर कोई इसी मे मग्न है अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग माथे पे रोजाना टीके को पाते देख मंदिरों के सामने सर झुकाते देख एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा दिखावा नही ये तो पहचान है हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#कविता #GateLight  आजकल दिखावे का चलन है
लगभग हर कोई इसी मे मग्न है
अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग
बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग

माथे पे रोजाना टीके को पाते देख
मंदिरों के सामने सर झुकाते देख
एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा
ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा

दिखावा नही ये तो पहचान है
हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है
आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही
इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही

बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही
तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

#GateLight

7 Love

घर के काम काज मे व्यस्त रहकर दुसरो की जिंदगी को मस्त करकर मेरे शहर से मेरा नाता टूटा जाए मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए बहुत साल हो गए नैहर जाए हुए उन गलियों मे खुद को पाए हुए सोचा नही था एक जीवन ऐसा भी रहेगा गुड़िया मुझको अब कोई नही कहेगा वो गुड़िया अब मै नही रही अपने पापा की जो ले आते थे हर संध्या मिठाई बताशा की बदल गयी है वो जो अम्मा की चंडाली थी सामने बैठाकर जो लगाती मुझको लाली थी नही रही अपने लाडले की मै वो दीदी जो बचाये पैसों से करता था रक्षाबंधन की खरीदी पीहर की जिंदगी चालीस साल की हो रही है लेकिन बारह साल नैहर की जिंदगी हावी ही रही है सालों बीत गए माँ - बाबू जी को गए हुए भैया चाची चाचा सबसे डाँट खाए हुए मेरा अपना शहर वक्त के चरखे मे उजड़ा जाए मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#कविता  घर के काम काज मे व्यस्त रहकर
दुसरो की जिंदगी को मस्त करकर
मेरे शहर से मेरा नाता टूटा जाए
मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए

बहुत साल हो गए नैहर जाए हुए
उन गलियों मे खुद को पाए हुए
सोचा नही था एक जीवन ऐसा भी रहेगा
 गुड़िया मुझको अब कोई नही कहेगा 

वो गुड़िया अब मै नही रही अपने पापा की
जो ले आते थे हर संध्या मिठाई बताशा की
बदल गयी है वो जो अम्मा की चंडाली थी
सामने बैठाकर जो लगाती मुझको लाली थी

नही रही अपने लाडले की मै वो दीदी
जो बचाये पैसों से करता था रक्षाबंधन की खरीदी
पीहर की जिंदगी चालीस साल की हो रही है
लेकिन बारह साल नैहर की जिंदगी हावी ही रही है

सालों बीत गए माँ - बाबू जी को गए हुए
भैया चाची चाचा सबसे डाँट खाए हुए
मेरा अपना शहर वक्त के चरखे मे उजड़ा जाए
मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

घर के काम काज मे व्यस्त रहकर दुसरो की जिंदगी को मस्त करकर मेरे शहर से मेरा नाता टूटा जाए मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए बहुत साल हो गए नैहर जाए हुए उन गलियों मे खुद को पाए हुए सोचा नही था एक जीवन ऐसा भी रहेगा गुड़िया मुझको अब कोई नही कहेगा वो गुड़िया अब मै नही रही अपने पापा की जो ले आते थे हर संध्या मिठाई बताशा की बदल गयी है वो जो अम्मा की चंडाली थी सामने बैठाकर जो लगाती मुझको लाली थी नही रही अपने लाडले की मै वो दीदी जो बचाये पैसों से करता था रक्षाबंधन की खरीदी पीहर की जिंदगी चालीस साल की हो रही है लेकिन बारह साल नैहर की जिंदगी हावी ही रही है सालों बीत गए माँ - बाबू जी को गए हुए भैया चाची चाचा सबसे डाँट खाए हुए मेरा अपना शहर वक्त के चरखे मे उजड़ा जाए मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

11 Love

नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले साल है नया इसी बात पे जेब खाली कर दे तुझमे चाहत है लड़कियों को आशिक बनाने की साल है नया इसी बात पे ठेला पानी- पूरी का कर ले तुझे चिंता है अपने घर के हालातो की तकलीफो की साल है नया इसी बात पे जीवन बीमा लेकर खुद को दफन कर ले पैसे जमा कर एक रुपया देता है भिखारी को साल है नया इसी बात पे बगल मे चादर बिछाकर अपना धंधा शुरू कर ले दुखी है तु क्योंकि कोई मनाने वाला नही साल है नया इसी बात पे काम गटर सफाई का कर ले नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले साल है नया इसी बात पे कुछ तो नया कर ले –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

#कॉमेडी  नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले
साल है नया इसी बात पे जेब खाली कर दे

तुझमे चाहत है लड़कियों को आशिक बनाने की
साल है नया इसी बात पे ठेला पानी- पूरी का कर ले

तुझे चिंता है अपने घर के हालातो की तकलीफो की
साल है नया इसी बात पे जीवन बीमा लेकर खुद को दफन कर ले

पैसे जमा कर एक रुपया देता है भिखारी को
साल है नया इसी बात पे बगल मे चादर बिछाकर अपना धंधा शुरू कर ले

दुखी है तु क्योंकि कोई मनाने वाला नही
साल है नया इसी बात पे काम गटर सफाई का कर ले

नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले
साल है नया इसी बात पे कुछ तो नया कर ले 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta

नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले साल है नया इसी बात पे जेब खाली कर दे तुझमे चाहत है लड़कियों को आशिक बनाने की साल है नया इसी बात पे ठेला पानी- पूरी का कर ले तुझे चिंता है अपने घर के हालातो की तकलीफो की साल है नया इसी बात पे जीवन बीमा लेकर खुद को दफन कर ले पैसे जमा कर एक रुपया देता है भिखारी को साल है नया इसी बात पे बगल मे चादर बिछाकर अपना धंधा शुरू कर ले दुखी है तु क्योंकि कोई मनाने वाला नही साल है नया इसी बात पे काम गटर सफाई का कर ले नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले साल है नया इसी बात पे कुछ तो नया कर ले –Vikas Gupta ©Vikas Gupta

12 Love

Trending Topic