Durgesh kumar

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दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फिर दुनिया याद कैसे करेगी किनारा पाने का मजा तो लहरों से टकराने में है दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#कविता  दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फिर दुनिया याद कैसे करेगी

किनारा पाने का मजा तो लहरों से टकराने में है

दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

#Life

10 Love

जाति के लोगों की जाति के लोगों से अपेक्षा "जाति का नाम रोशन करने की होती हैं" दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#कविता #candle  जाति के लोगों की जाति के लोगों से अपेक्षा "जाति का नाम रोशन करने की होती हैं"

दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

#candle

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शीतल चाँद नही सूरज का ताप लिखूँगा अब जो भी लिखूँगा साफ़ साफ़ लिखूँगा इन जातियों के ठेकेदारों की बातें देखकर मैं श्रृंगार छोड़ समाज के खिलाफ लिखूँगा ✍️दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#कविता #protest  शीतल चाँद नही सूरज का ताप लिखूँगा
अब जो भी लिखूँगा साफ़ साफ़ लिखूँगा

इन जातियों के ठेकेदारों की बातें देखकर
मैं श्रृंगार छोड़ समाज के खिलाफ लिखूँगा

✍️दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

#protest

6 Love

बिकने लगा हूँ सस्ता भाव तुम्हारे शहर में जमाना दे रहा सीने पर घाव तुम्हारे शहर में मैं तुम्हारे घर मिलने आऊँ तो कैसे आऊँ? तलवारों से काट देते पाँव तुम्हारे शहर में मेरी जान तुम अपनी चुनरी में ढक लेना मुझे मिलती नही अब पेड़ों की छाँव तुम्हारे शहर तुम पर भरोशा किया तो बदल मत जाना सुना होता रहता है बदलाव तुम्हारे शहर में हो अगर 'रजनीश' के तो बचाने आओगे ? लगा रहा हूँ जिंदगी का दाव तुम्हारे शहर में 🖋🖋दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#कविता  बिकने लगा हूँ सस्ता भाव तुम्हारे शहर में
जमाना दे रहा सीने पर घाव तुम्हारे शहर में

मैं तुम्हारे घर मिलने आऊँ तो कैसे आऊँ?
तलवारों से काट देते पाँव तुम्हारे शहर में

मेरी जान तुम अपनी चुनरी में ढक लेना मुझे
मिलती नही अब पेड़ों की छाँव तुम्हारे शहर

तुम पर भरोशा किया तो बदल मत जाना
सुना होता रहता है बदलाव तुम्हारे शहर में

हो अगर 'रजनीश' के तो बचाने आओगे ?
लगा रहा हूँ जिंदगी का दाव तुम्हारे शहर में

🖋🖋दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

#Love

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मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो तेरी उन तस्वीरों को निहारता रहता हूँ तेरे याद में लिखकर कुछ अल्फ़ाज़ों को अपनी जुल्फों की तरह संवरता रहता हूँ मुझे मालूम है तू पलट कर नही देखेंगी फिर भी मैं क्यों तुझे पुकारता रहता हूँ? दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#शायरी #Hope  मेरे कमरे की दिवारों पर टंगी हुई है जो
तेरी उन तस्वीरों को निहारता रहता हूँ

तेरे याद में लिखकर कुछ अल्फ़ाज़ों को
अपनी जुल्फों की तरह संवरता रहता हूँ

मुझे मालूम है तू पलट कर नही देखेंगी
फिर भी मैं क्यों तुझे पुकारता रहता हूँ?

दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

#Hope

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आँख में आँसू रख मुस्कुराना नही आया मुझे उसकी गली से गुजरना नही आया वो जो मेरी आँखों की तारीफ़ करती थी उसे मेरी आँखों में उतरना नही आया 🖋🖋दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

#लव  आँख में आँसू रख मुस्कुराना नही आया
मुझे उसकी गली से गुजरना नही आया

वो जो मेरी आँखों की तारीफ़ करती थी
उसे मेरी आँखों में उतरना नही आया

🖋🖋दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

आँख में आँसू रख मुस्कुराना नही आया मुझे उसकी गली से गुजरना नही आया वो जो मेरी आँखों की तारीफ़ करती थी उसे मेरी आँखों में उतरना नही आया 🖋🖋दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

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