Arun pradhan

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Village Life बडे बेसब्र और निहायत ही बेशऊर हो अरुण तुम, जमीं में कुछ बोया ही नहीं फिर क्यूं खाली हाथ देख उदास हो तुम, लगन घडे में कंकड़ वाले कागा सी रखिये नीयत का कासा गंगा जल से हो भरा, फिर खुद का खुद ही विश्वास हो तुम! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

#शायरी #villagelife  Village Life बडे बेसब्र और निहायत ही बेशऊर 
हो अरुण तुम, 
जमीं में कुछ बोया ही नहीं फिर क्यूं खाली
हाथ देख उदास हो तुम,
लगन घडे में कंकड़ वाले कागा सी रखिये
नीयत का कासा गंगा जल से हो भरा, 
फिर खुद का खुद ही विश्वास हो तुम! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan

#villagelife

15 Love

सीधा सा था मैं , तोडा मरोडा क्यों सीधा ही रहने देते, किन्तु, दुषित थे _ स्वयं तुम, . . . और मुझे दुषित करने पर _ तुले थे तुम, क्या अच्छा होता, तुम भी महकते _ चमन की तरह, हम भी बरसते _ बादल की तरह, ले बैठेंगी सबको सबकी _ महत्वाकांक्षएं एक दिन, वैसे खानदान से लेकर राजदरबार तलक चलेंगें मुसलसल तेरे और मेरे बिन! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

#शायरी #Grayscale  सीधा सा था मैं , तोडा मरोडा क्यों
सीधा ही रहने देते, 
किन्तु, दुषित थे _ स्वयं तुम, 
 . . . और मुझे दुषित करने पर _ तुले थे तुम, 

क्या अच्छा होता, तुम भी महकते  _ चमन की तरह, हम भी बरसते _ बादल की तरह, 
ले बैठेंगी सबको सबकी _ महत्वाकांक्षएं एक दिन, 
वैसे खानदान से लेकर राजदरबार तलक
चलेंगें मुसलसल तेरे और मेरे बिन! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan

#Grayscale

10 Love

हुस्न , इश्क़ खानदानी हुं, जिस्म को तेरे छू नहीं सकता, खुद को कभी, खुश्बू में बदल कर देख, तुझे . . . रोम रोम न बसा लूं _ फिर कहना! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

#christmascelebration #शायरी  हुस्न , इश्क़ खानदानी हुं, जिस्म को तेरे छू नहीं सकता, 
खुद को कभी, खुश्बू में बदल कर देख, तुझे
. . . रोम रोम न बसा लूं _ फिर कहना! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan
#शायरी  हाँ, थोड़ा खिसका तो हूं मैं, 
इसलिए आज  . . . स्थिर हूं आज! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan

हाँ, थोड़ा खिसका तो हूं मैं, इसलिए आज . . . स्थिर हूं आज! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

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कितना फर्क़ है हर आदमी के मसलों में दौस्तों, कोई परेशां है मुद्तों से _ किसी को मिटाने के लिए, कोई मांग रहा दुआ फख्त _ सलामती की अपनी! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

#शायरी #lightning  कितना फर्क़ है हर आदमी के मसलों में दौस्तों, 
कोई परेशां है मुद्तों से _ किसी को मिटाने के लिए, कोई मांग रहा दुआ फख्त _
सलामती की अपनी! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan

#lightning

13 Love

सुनों, गमों का शायर हुं मैं, मेरे शेरों पर ताली ना बजा देना, कहीं हो ना जाए गुस्ताखी ये मेरे _ दर्द ,रंजोगम आहों और . . . मेरे तकिये की नमीं की शान में! [अरुण प्रधान] ©Arun pradhan

#शायरी #sunrisesunset  सुनों, गमों का शायर हुं मैं, मेरे शेरों पर
ताली ना बजा देना, कहीं हो ना जाए
गुस्ताखी ये मेरे _ दर्द ,रंजोगम आहों और . . . मेरे तकिये की नमीं की शान में! 
[अरुण प्रधान]

©Arun pradhan
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