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जब उदास मन भटक कर हलक तक उतर आए ,
तब तुम ख़ुद से खूब बतियाना,
नीले आकाश को गुलाबी चादर ओढ़ाकर इंद्रधनुष की बारिश में नहाना,
चौराहों के केंद्र में खड़े होकर चीख- चीख कर खुद को आवाज़ लगाना,
गाड़ियों के शोर में अधरों की कोरो को ऐसे फैलाना जैसे कानों से गुजर रहा हो कोई सूफ़ी संगीत,
इश्क़ करना मंदिर की आरती से ,
सीने में भर लेना दरगाह के लोबान की खुशबू,,
बन जाना ध्रुव तारा किसी ठोकर खाए मुसाफ़िर के लिए,
राह में मिलने वाले राहगीरों को हरसिंगार के फूलों का गुलदस्ता भेंट करना,
गली - चौबारों पर बंधरवार बांध प्रियतम के लिए आंखे बिछाना, बचपन का गुल्लक फोड़ प्रेम की कोई निशानी ले आना,
रातरानी की सुधंग हृदय में भर जिस्म की दीवारों को मोहब्बत के रंग से पोत लेना,
प्रेमी के आने की ख़बर सुन गुलाबों की सेज सजाना,
जाने की बात करने पर उसके होंठों पर तर्जनी रख देना,
नदियों के पानी को पींडलियों में भरकर,
समुंद्र के खारेपन से जठराग्नि की प्यास बुझाना,
चिंता के बादलों को फोड़ खुशियों से नाता जोड़ लेना,
पसीने की बूंदों से तिनका - तिनका जोड़ घरौंदा बना लेना,
अफवाहों की राख से मन का मैल धो डालना,
हस्ती जेबों में खन - खन करते सिक्कों सी रखना,
चहको तो चिड़ियों सा चहकना,
छोटे बच्चों सा खिलखिलाकर हंसना,
सपनों की उड़ान ऊंचाई पर भरना,
ज़िंदगी का दामन बिछिया से पकड़ कर रखना,
जीवन को सदा मुट्ठी में कैद कर हंसते रहना।
©@deep_sunshine1210
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