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W£l¢om€ 2 my little library . Fusion of Heart & Soul #myownwords मैं लफ्ज़ नहीं दिल के ज़ज्बात लिखती ✍️हूँ, अपनी इन कविताओं में कुछ हालात 👐लिखती हूँ.. instagram id _ @deep_sunshine1210

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🥀 जब उदास मन भटक कर हलक तक उतर आए , तब तुम ख़ुद से खूब बतियाना, नीले आकाश को गुलाबी चादर ओढ़ाकर इंद्रधनुष की बारिश में नहाना, चौराहों के केंद्र में खड़े होकर चीख- चीख कर खुद को आवाज़ लगाना, गाड़ियों के शोर में अधरों की कोरो को ऐसे फैलाना जैसे कानों से गुजर रहा हो कोई सूफ़ी संगीत, इश्क़ करना मंदिर की आरती से , सीने में भर लेना दरगाह के लोबान की खुशबू,, बन जाना ध्रुव तारा किसी ठोकर खाए मुसाफ़िर के लिए, राह में मिलने वाले राहगीरों को हरसिंगार के फूलों का गुलदस्ता भेंट करना, गली - चौबारों पर बंधरवार बांध प्रियतम के लिए आंखे बिछाना, बचपन का गुल्लक फोड़ प्रेम की कोई निशानी ले आना, रातरानी की सुधंग हृदय में भर जिस्म की दीवारों को मोहब्बत के रंग से पोत लेना, प्रेमी के आने की ख़बर सुन गुलाबों की सेज सजाना, जाने की बात करने पर उसके होंठों पर तर्जनी रख देना, नदियों के पानी को पींडलियों में भरकर, समुंद्र के खारेपन से जठराग्नि की प्यास बुझाना, चिंता के बादलों को फोड़ खुशियों से नाता जोड़ लेना, पसीने की बूंदों से तिनका - तिनका जोड़ घरौंदा बना लेना, अफवाहों की राख से मन का मैल धो डालना, हस्ती जेबों में खन - खन करते सिक्कों सी रखना, चहको तो चिड़ियों सा चहकना, छोटे बच्चों सा खिलखिलाकर हंसना, सपनों की उड़ान ऊंचाई पर भरना, ज़िंदगी का दामन बिछिया से पकड़ कर रखना, जीवन को सदा मुट्ठी में कैद कर हंसते रहना। ©@deep_sunshine1210

#MereKhayaal  🥀
जब उदास मन भटक कर हलक तक उतर आए , 
तब तुम ख़ुद से खूब बतियाना,
नीले आकाश को गुलाबी चादर ओढ़ाकर इंद्रधनुष की बारिश में नहाना, 
चौराहों के केंद्र में खड़े होकर चीख- चीख कर खुद को आवाज़ लगाना, 
गाड़ियों के शोर में अधरों की कोरो को ऐसे फैलाना जैसे कानों से गुजर रहा हो कोई सूफ़ी संगीत,
 इश्क़ करना मंदिर की आरती से ,
 सीने में भर लेना दरगाह के लोबान की खुशबू,, 
बन जाना ध्रुव तारा किसी ठोकर खाए मुसाफ़िर के लिए, 
राह में मिलने वाले राहगीरों को हरसिंगार के फूलों का गुलदस्ता भेंट करना,
गली - चौबारों पर बंधरवार बांध प्रियतम के लिए आंखे बिछाना, बचपन का गुल्लक फोड़ प्रेम की कोई निशानी ले आना,
रातरानी की सुधंग हृदय में भर जिस्म की दीवारों को मोहब्बत के रंग से पोत लेना,
प्रेमी के आने की ख़बर सुन गुलाबों की सेज सजाना, 
जाने की बात करने पर उसके होंठों पर तर्जनी रख देना,
नदियों के पानी को पींडलियों में भरकर, 
समुंद्र के खारेपन से जठराग्नि की प्यास बुझाना, 
चिंता के बादलों को फोड़ खुशियों से नाता जोड़ लेना, 
पसीने की बूंदों से तिनका - तिनका जोड़ घरौंदा बना लेना,
अफवाहों की राख से मन का मैल धो डालना,
 हस्ती जेबों में खन - खन करते सिक्कों सी रखना, 
चहको तो चिड़ियों सा चहकना, 
छोटे बच्चों सा खिलखिलाकर हंसना, 
सपनों की उड़ान ऊंचाई पर भरना, 
ज़िंदगी का दामन बिछिया से पकड़ कर रखना,
जीवन को सदा मुट्ठी में कैद कर हंसते रहना।

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#nojotogroup #nojohindi #nojota

बिना दुःख भोगे मानुष, कैसे सृजित होए। तराशे यदि निष्ठा से, कोल हीरक होए ©@deep_sunshine1210

#विचार #Rose  बिना दुःख भोगे मानुष, कैसे सृजित होए।
तराशे यदि निष्ठा से, कोल हीरक होए

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#Rose

12 Love

प्रिय दोस्तो, काफ़ी दिनों से कलम शांत पड़ी है।ऐसा नहीं है कि कुछ लिखने का मन नहीं होता, होता हैं परन्तु चारों ओर केवल नकारात्मकता पसरी हुई है जिन्हे पन्नो पर अल्फाजों की शक्ल में बिखेरने का तुक मेरी समझ से परे हैं। हर सू वबा का माहौल है। इंसान उदासी और नकारात्मकता की जड़े पकड़ कर बैठा है। हमारी प्रकृति दुखभोगी हो गई है, जो जीवन में नकारात्मकता चाहते तो नहीं है लेकिन इसे पकड़ कर इसी का गोश्त उधेड़ कर खाने से भी बाज नहीं आते। कही आदमी जिंदगी और मौत से झूंझ रहा है तो कहीं हिन्दू - मुस्लिम के नाम पर बिमारी के लिंक जोड़े जा रहे है।किसी को कोविड की चपेट में आने को खौफ है, तो कुछ धंधा - पानी बन्द होने की वजह से मुश्किल में है। मसलन ऐसा है कि आदमी कभी खुद के लिए जीता ही नहीं है, आज भी उसे खुद की चिंता नहीं खा रही है, वो परेशान है अम्मा की दवाइयों के जानिब,लल्ला की दूध की परवाह उसे सता रही है क्योंकि जब जोरू को कुछ खाने को नहीं होगा तो उसके स्तनों में दूध की कोई बूंद बचेगी क्या???आप सभी से केवल इतना निवेदन है जितना हो सके दूसरों की मदद कीजिए ,घर के अंदर रहिए। बिमारी का कोई पॉलिटिकल कनेंक्शन है भी या नहीं हम ये नहीं जानते ,हम केवल इतना जानते है कि ईश्वर भूखा जगा सकते है लेकिन भूखा सुलाते नहीं है। ख़ुश रहिए, खुशियां बंटिए।बुरा वक्त है, गुज़र जाएगा। ©deep_sunshine1210 ©@deep_sunshine1210

#विचार #picoftheday #5LinePoetry #Shaayari #Letring  प्रिय दोस्तो,
काफ़ी दिनों से कलम शांत पड़ी है।ऐसा नहीं है कि कुछ लिखने का मन नहीं होता, होता हैं परन्तु चारों ओर केवल नकारात्मकता पसरी हुई है जिन्हे पन्नो पर  अल्फाजों की शक्ल में बिखेरने का तुक मेरी समझ से परे हैं।
 हर सू वबा का माहौल है। इंसान उदासी और नकारात्मकता की जड़े पकड़ कर बैठा है। हमारी प्रकृति दुखभोगी हो गई है, जो जीवन में नकारात्मकता चाहते तो नहीं है लेकिन इसे पकड़ कर इसी का गोश्त उधेड़ कर खाने से भी बाज नहीं आते। कही आदमी जिंदगी और मौत से झूंझ रहा है तो कहीं हिन्दू - मुस्लिम के नाम पर बिमारी के लिंक जोड़े जा रहे है।किसी को कोविड की चपेट में आने को खौफ है, तो कुछ धंधा - पानी बन्द होने की वजह से मुश्किल में है। मसलन ऐसा है कि आदमी कभी खुद के लिए जीता ही नहीं है, आज भी उसे खुद की चिंता नहीं खा रही है, वो परेशान है अम्मा की दवाइयों के जानिब,लल्ला की दूध की परवाह उसे सता रही है क्योंकि जब जोरू को कुछ खाने को नहीं होगा तो उसके स्तनों में दूध की कोई बूंद बचेगी क्या???आप सभी से केवल इतना निवेदन है जितना हो सके दूसरों की मदद कीजिए ,घर के अंदर रहिए। बिमारी का कोई पॉलिटिकल कनेंक्शन है भी या नहीं हम ये नहीं जानते ,हम केवल इतना जानते है कि ईश्वर भूखा जगा सकते है लेकिन भूखा सुलाते नहीं है। ख़ुश रहिए, खुशियां बंटिए।बुरा वक्त है, गुज़र जाएगा।

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सूरज को इस तरह रोशनी से प्यार है, रात को सिर्फ चांदनी का इंतजार है, जिन्हे कहते हो तुम चांद - सितारे दरअसल वो आशिक़ है तनहाई के। ©@deep_sunshine1210

#Morning #SunSet #imback #Live #Deep  सूरज को इस तरह रोशनी से प्यार है,
रात को सिर्फ चांदनी का इंतजार है,
जिन्हे कहते हो तुम चांद - सितारे
दरअसल वो आशिक़ है तनहाई के।

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गांव का हर इक छोर अपनी कहानी कहता है, हम सब के भीतर अपना एक गांव रहता है। जहा घुली है मिश्री पंछियों की पुकार में, बरगद की छांव में सुकून जन्नत का मिलता है। पैरों के निशान खेत की पगडंडी पर छोड़ आए है, इमलियां तोड़ खाने का पल भी कहा लौट पाए है। शहरो में खेत दो प्रेमियों को कहा ढक पाते है, ना रोटियों में चूल्हे की खुशबू धुल पाती है। इन बन्द दीवारों में बुजुर्गो का दम घुटता है, दादी की कहानियां सुनने का वक्त किसको होता है। ऊंची इमारतों ने मानवता का कद छोटा कर दिया है, हर रात वीरान सड़क पर कोई पशु मरा मिलता है। गांव में बिजली चले जाने पर उत्सव छा जाता है, शहरो में हर जगह सिर्फ सन्नाटा पसरा मिलता है। गांव सिमटते जा रहे ,शहर अपनी जड़े फेला रहा है। गांव की मिट्टी बंजर हो रही है, आओ दो बूंदे प्रेम की मिला कर गांव को नष्ट होने से बचाएं। ©@deep_sunshine1210

#followmeoninstagram #BuildingSymmetry #Majority #village  गांव का हर इक छोर अपनी कहानी कहता है,
हम सब के भीतर अपना एक गांव रहता है।

जहा घुली है मिश्री पंछियों की पुकार में,
बरगद की छांव में सुकून जन्नत का मिलता है।

पैरों के निशान खेत की पगडंडी पर छोड़ आए है,
इमलियां तोड़ खाने का पल भी कहा लौट पाए है।

शहरो में खेत दो प्रेमियों को कहा ढक पाते है,
ना  रोटियों में चूल्हे की खुशबू धुल पाती है।

इन बन्द दीवारों में बुजुर्गो का दम घुटता है,
दादी की कहानियां सुनने का वक्त किसको होता है।

ऊंची इमारतों ने मानवता का कद छोटा कर दिया है,
हर रात वीरान सड़क पर कोई पशु मरा मिलता है।

गांव में बिजली चले जाने पर उत्सव छा जाता है,
शहरो में हर जगह सिर्फ सन्नाटा पसरा मिलता है।


गांव सिमटते जा रहे ,शहर अपनी जड़े फेला रहा है।
गांव की मिट्टी बंजर हो रही है, 
आओ दो बूंदे प्रेम की मिला कर
 गांव को नष्ट होने से बचाएं।

©@deep_sunshine1210
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