बेरंग से आज के रिश्तों को
एहसास के रंगों की जरूरत है।
मैं ( अहम) के मद में चूर लोगों को
प्रेम के भांग की जरूरत है।
हरपल रंग बदलने वालो को
कभी न छूटने वाले संग की जरूरत है।
तो क्यूं न कुछ दुआ ये मांगी जाए,
कि सबका हृदय अपनेपन से सज जाए,
हरतरफ सुकून के रंगों की फुहार फैल जाए,
खुशियों से सज्जित ऐसा रंगोत्सव मनाए।
©Ritu shrivastava
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