JitendraChaturvadi

JitendraChaturvadi Lives in Ballia, Uttar Pradesh, India

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आप सभी को होली की बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाए ©JitendraChaturvadi

#विचार #Holi  आप सभी को होली की बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाए

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#Holi

8 Love

*शिखा जिसकी धरोहर है* *तिलक से जो अलंकृत है* *चमकता भाल दिनकर सा* *जो अपराधों से वंचित है* *जो शंभू सा विनाशी है* *जो विष्णु सा हृदय कोमल* *है जिसमें तेज ब्रह्मा का* *वो ब्राह्मण सर्व वंदित है।* ©JitendraChaturvadi

#कविता #Travelstories  *शिखा जिसकी धरोहर है*
*तिलक से जो अलंकृत है*
*चमकता भाल दिनकर सा*
*जो अपराधों से वंचित है*
*जो शंभू सा विनाशी है*
*जो विष्णु सा हृदय कोमल*
*है जिसमें तेज ब्रह्मा का*
*वो ब्राह्मण सर्व वंदित है।*

©JitendraChaturvadi

तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं  मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा  मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र  रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा ©JitendraChaturvadi

#शायरी #Thinking  तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं 
मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा 

मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र 
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा

©JitendraChaturvadi

#Thinking

11 Love

आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में, जनता हे चिंता की मारी मेरे गाँव में। आने वाले है शिकारी मेरे गाँव में, जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में। फिर वही चौराहे होंगे प्यासी आखों उठाए होंगे सपनो भोगी रातें होंगी मीठी-मीठी बातें होंगी मालाएं पहनानी होंगी फिर ताली बजवानी होंगी दिन को रात कहा जायेगा दो को सात कहा जायेगा आने वाले हैं- आने वाले हें मदारी मेरे गाँव में जनता हे चिंता की मारी मेरे गाँव में। शब्दों-शब्दों आहें होंगी लेकिन नकली बाहें होंगी तुम कहते हो नेता होंगे लेकिन वे अभिनेता होंगे बाहर-बाहर सज्जन होंगे भीतर-भीतर रहजन होंगे सब कुछ है, फिर भी मांगेगे झुकने की सीमा लाघेगें आने वाले हैं भिखारी मेरे गाँव में जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में। उनकी चिंता जग से न्यारी कुर्सी है दुनिया से प्यारी कुर्सी है तो भी खल्कामी बिन कुर्सी के भी दुस्कामी कुर्सी रास्ता कुर्सी मंजिल कुर्सी नदियां कुर्सी साहिल कुर्सी पर ईमान लुटायें सब कुछ अपना दावं लगायें आने वाले हैं- आने वाले हैं जुआरी मेरे गाँव में जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में। लेखक- राजेन्द्र राजन कवि ©JitendraChaturvadi

#कविता #Mic  आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में,
जनता हे चिंता की मारी मेरे गाँव में।
आने वाले है शिकारी मेरे गाँव में,
जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में।
फिर वही चौराहे होंगे
प्यासी आखों उठाए होंगे
सपनो भोगी रातें होंगी
मीठी-मीठी बातें होंगी
मालाएं पहनानी होंगी
फिर ताली बजवानी होंगी
दिन को रात कहा जायेगा
दो को सात कहा जायेगा
आने वाले हैं- आने वाले हें मदारी मेरे गाँव में
जनता हे चिंता की मारी मेरे गाँव में।
शब्दों-शब्दों आहें होंगी
लेकिन नकली बाहें होंगी
तुम कहते हो नेता होंगे
लेकिन वे अभिनेता होंगे
बाहर-बाहर सज्जन होंगे
भीतर-भीतर रहजन होंगे
सब कुछ है, फिर भी मांगेगे
झुकने की सीमा लाघेगें
आने वाले हैं भिखारी मेरे गाँव में
जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में।
उनकी चिंता जग से न्यारी
कुर्सी है दुनिया से प्यारी
कुर्सी है तो भी खल्कामी
बिन कुर्सी के भी दुस्कामी
कुर्सी रास्ता कुर्सी मंजिल
कुर्सी नदियां कुर्सी साहिल
कुर्सी पर ईमान लुटायें
सब कुछ अपना दावं लगायें
आने वाले हैं- आने वाले हैं जुआरी मेरे गाँव में
जनता है चिंता की मारी मेरे गाँव में। लेखक- राजेन्द्र राजन कवि

©JitendraChaturvadi

#Mic

10 Love

परो को खोल जमाना उड़ान देखता है जमी पर बैठ क्या आसमान देखता है ©JitendraChaturvadi

#शायरी #Winter  परो को खोल जमाना उड़ान देखता है                      जमी पर बैठ क्या आसमान देखता है

©JitendraChaturvadi

#Winter

7 Love

हिन्दी केवल हमारी राजभाषा ही नहीं, अपितु हमारे मान, सम्मान एवं स्वाभिमान का भी प्रतीक है। यह अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। हिन्दी भाषा में रुचि रखने वाले विश्व में समस्त साहित्यकारों, भाषाविदों आदि को "#विश्व_हिंदी_दिवस" की शुभकामनाएँ। ©JitendraChaturvadi

#विश्व_हिंदी_दिवस #worldhindiday #समाज  हिन्दी केवल हमारी राजभाषा ही नहीं, अपितु हमारे मान, सम्मान एवं स्वाभिमान का भी प्रतीक है। यह अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। हिन्दी भाषा में रुचि रखने वाले विश्व में समस्त साहित्यकारों, भाषाविदों आदि को "#विश्व_हिंदी_दिवस" की शुभकामनाएँ।

©JitendraChaturvadi
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