एक यार की दास्ताँ
क्या बताऊँ उसके बारे में शब्द नही ढूढ़ पाता हूँ।
जब भी सोचता हूँ बस सोचता रह जाता हूँ।।
यारो में सबसे निपुण उसे ही बताता हूँ।
क्योंकि उसके अंदर एक सलाहकार सा पाता हूँ।।
उसकी बातों में एक अजीब सा दर्द छलकता है मुझे।
वो दर्द दिखाता नही लेकिन मैं पहचान जाता हूँ।।
रोते हुए को हंसाने की ,बैठे हुए को नचाने की ,रुठे हुए को मनाने की कला है उसमें,
ये वो बताता नही लेकिन मैं जान जाता हूँ।।।
पालीवाल जी के लिए
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