हम हो गइनी हँ दूर देश के वासी हो,
लोगवा कहे हमनी के प्रवासी हो।
शिक्षा, रोटी और करे खातिर रोजगार,
हम छोडलीं आपन धरती आपन संसार,
रहें देश, रहें विदेश, बीत$ता दिनों दिनों,
रहैं भटकते दुनियाभर में कई महीनों,
का दिल्ली कोटा मथुरा काशी हो। हम..
जब आबेला छठी मैया के वरतिया,
आबेला तब याद हमरा सब सँगतिया,
बोरिया बिस्तर लेकर हम तो जल्दी भागे,
पहुँचत हैं जब हम घरबा त अइसन लागे,
जैसे आ गइनी हँ राजमहल झाँसी हो।हम ..
ठूस ठूस के आबत हैं घर जैसे बरतिया,
मिल$ता कहाँ सबके कन्फर्म टिकटिया,
भीड़ चलेला पूरा बस,मोटर और प्लेन में,
खाली मिल$ता जगह नहीं कोनो ट्रैन में।
खड़े खड़े आबत हम लेत हैं उबासी हो।हम...
चार दिन के वरतिया में चार बछर के आनंद मिले,
छठी मईया के पूजन में भइया हमरा परमानंद मिले।
साज सजाबट धूम धाम सब मनमा के भटकाबेला,
अब जायब न दूर देश हम, अइसन महसूस कराबेला।
सब बिछड़ल यार से मिललीं, हो गइनी अब बासी हो। हम..
नहाय खाय लोहंडा करके करें अरग के तैयारी हो,
घाट पे दौरा ले जाय के आ गइल ह हमर बारी हो।
जल्दी जल्दी जाके जगह बनायम अगाड़ी हो,
पैदल ही जाय के बाटे, जाला न कोनो गाड़ी हो,
करत रहीं छठ हमर चाची, मैया और मासी हो, हम...
भईल सांझ के अरगिया, अब भोर के तैयारी हो,
कहाँ आबेला नींद हमके, जागें रात सारी हो।
भोरे तीन बजे से ही दौरा हम सजाबेली,
'उग हो सुरुज देव' के गीत सब गाबेली।
अरग पारण कर आशीष ले$त ग्रामवासी हो। हम..
लग$ता वीरान अब, भईल खत्म सब माहौल हो,
जाय के बाटे घर से हमरा, मन लागे डमाडौल हो।
बुझे बुझे मनमा से हम समान सब सरियाबेली,
चलीं हम यार सब, दे$ख कबे आबेंलीं।
ई बिरह के आँसू दे$ख, हमरा लागे फाँसी हो, हम..
संगी साथी यार सब, काम पे बुलाबेला,
ठेकुआ लेके ही अइह, याद सब दिलाबेला।
पाबे खातिर कृपा दृष्टि, सब माई से आस लगाबता।
माई के प्रसाद खातिर जल्दी हमरा पास बुला$बता,
ई छठी माय के पावन व्रत बड़ी विश्वाशी हो, हम...
©Amit Raj
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