कुछ ख्वाहिशें, कुछ सपने,
कुछ दिल के जज्बात,
सब अधूरे से लगने लगे।।
जब वो मेरी खामोशी के पीछे
का दर्द ना समझ सकें तो
अपने अरमानों की डोली को
अपनी खामोशी में ही दबे रहने दिए।।
खुद को समझाते ,, खुद में ही उलझे
हम अपने आप को
तकदीर के हवाले
कर , उन्हें तन्हा ही छोड़ दिए।।
जब कभी हमें उनकी याद आई तो
ख्वाबों में ही उन्हें महसूस कर लिया करेगे।
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