Rajbali maurya

Rajbali maurya

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video
#मोटिवेशनल

126 View

#वीडियो  दिया ज्ञान का भण्डार हमें किया भविष्य के लिए तैयार हमें हैं आभारी उन गुरुओं के हम जो किया कृतज्ञ अपार हमें मेरे जीवन में आने वाले हर एक शिक्षक को शत-शत नमन !

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं!

©Rajbali maurya

दिया ज्ञान का भण्डार हमें किया भविष्य के लिए तैयार हमें हैं आभारी उन गुरुओं के हम जो किया कृतज्ञ अपार हमें मेरे जीवन में आने वाले हर एक शिक्षक को शत-शत नमन ! शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं! ©Rajbali maurya

90 View

#विचार #Buddha_purnima  White अपने सपनों को साकार करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि आप जाग जाएं.

©Rajbali maurya

#Buddha_purnima

126 View

#विचार  मन में दुविधा, मन में युद्ध है, मन खुद के ही विरुद्ध है, ये मन की कैसी रीत ? सारा कुरूक्षेत्र सामने पड़ा, जीत सके तो जीत, यहां तू ही कृष्ण, तू ही पार्थ है तुझे खुद ही समझना, क्या यथार्थ है।

©Rajbali maurya

मन में दुविधा, मन में युद्ध है, मन खुद के ही विरुद्ध है, ये मन की कैसी रीत ? सारा कुरूक्षेत्र सामने पड़ा, जीत सके तो जीत, यहां तू ही कृष्ण, तू ही पार्थ है तुझे खुद ही समझना, क्या यथार्थ है। ©Rajbali maurya

153 View

White बुद्ध का मार्ग सत्य का अनुभव करना है ६. बोधि प्राप्त करके बुद्ध ने यह अनुभव किया कि बुद्धि से या भक्ति से मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, कोई व्यक्ति मुक्त तभी हो सकता है जब वह अनुभूति के धरातल पर सत्य का अनुभव करता हो। विपश्यना के अभ्यास से प्रज्ञा प्राप्त की जा सकती है। कोई प्रवचन भले सुन ले, धार्मिक ग्रंथ भले पढ ले और बुद्धि का प्रयोग करके भले यह समझ ले कि हां - बुद्ध की शिक्षा अद्भुत है, उनके द्वारा बतायी गई प्रज्ञा अद्भुत है, लेकिन ऐसा कहने से प्रज्ञा का साक्षात्कार नहीं होता। ... नाम और रूप का सारा क्षेत्र - छह इंद्रियां और उनके अलग-अलग विषय सभी अनित्य हैं, दुःख हैं तथा अनात्म हैं। बुद्ध का उद्देश्य था कि हम सभी इस सच्चाई का अपने भीतर अनुभव करें। इस काया के भीतर सच्चाई को पर्यवेक्षण करने के लिए उन्होंने दो क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया। एक तो रूप है, काया है यानी, भौतिक संरचना और दूसरा नाम है या मन है जिसके चार अंग हैं, विज्ञान, संज्ञा, वेदना और संस्कार। बुद्ध ने दोनों क्षेत्रों के पर्यवेक्षण के लिए कायानुपस्सना और चित्तानुपस्सना की विधि बतायी। ~ सत्यनारायण गोयनका ©Rajbali maurya

#विचार  White बुद्ध का मार्ग सत्य का अनुभव करना है

६. बोधि प्राप्त करके बुद्ध ने यह अनुभव किया कि बुद्धि से या भक्ति से मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, कोई व्यक्ति मुक्त तभी हो सकता है जब वह अनुभूति के धरातल पर सत्य का अनुभव करता हो। विपश्यना के अभ्यास से प्रज्ञा प्राप्त की जा सकती है। कोई प्रवचन भले सुन ले, धार्मिक ग्रंथ भले पढ ले और बुद्धि का प्रयोग करके भले यह समझ ले कि हां - बुद्ध की शिक्षा अद्भुत है, उनके द्वारा बतायी गई प्रज्ञा अद्भुत है, लेकिन ऐसा कहने से प्रज्ञा का साक्षात्कार नहीं होता। ... नाम और रूप का सारा क्षेत्र - छह इंद्रियां और उनके अलग-अलग विषय सभी अनित्य हैं, दुःख हैं तथा अनात्म हैं। बुद्ध का उद्देश्य था कि हम सभी इस सच्चाई का अपने भीतर अनुभव करें। इस काया के भीतर सच्चाई को पर्यवेक्षण करने के लिए उन्होंने दो क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया। एक तो रूप है, काया है यानी, भौतिक संरचना और दूसरा नाम है या मन है जिसके चार अंग हैं, विज्ञान, संज्ञा, वेदना और संस्कार। बुद्ध ने दोनों क्षेत्रों के पर्यवेक्षण के लिए कायानुपस्सना और चित्तानुपस्सना की विधि बतायी।

~ सत्यनारायण गोयनका

©Rajbali maurya

anubhav

15 Love

#विचार #chandrayaan3  जब चंद्रयान 3 चंद्रमा पर पहुंचा तो अशोक चक्र और 
इसरो का लोगो लगाया गया। 
क्योंकि विश्व के पटल पर भगवान बुद्ध,चक्रवर्ती अशोक मौर्य के पदचिन्ह हि काम आते है
 एक बात तो साफ है ,भारतवर्ष की पहचान की जो नीव बुद्ध अशोक ने रखी  हमेशा रहेगा..
यही कारण है कि चंद्रयान3 के सफल लैंडिंग होने के बाद इसरो ने अशोक चिन्ह से आगे की शुरुवात की..

©Rajbali maurya

#chandrayaan3

66 View

Trending Topic