आँखों की जुबां भी पढ़ लेनी चाहिए, जो ना आ पाए जुबां पर वह बातें भी सुन लेनी चाहिए,
कुछ जज्बात केवल इशारों से ही समझाऐ जा सकते हैं,
उन इशारों को भी समझ लेना चाहिए...
दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे अपनी हंसी बिखेर कर,
कब मुझको गले लगाओगे,
तनहा हूं मैं यहां अकेला,
कब अपने साथ ले जाओगे,
दिसंबर तो आ गया बोलो तुम कब आओगे..
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