बातें अधूरी छूट जाती है
में दिल बयाँ करने निकलता हूँ,
वो सुनती तो है, मगर रूठ जाती है
तू पूछता है लैला से क्यों अधूरि ये दास्तां-ए-महोब्बत
वो इतमीनान से कहती है
मजनू तब पहोचता है जब सांसे छूट जाती है,
क्यों न मिलपाते दिल के दो टुकड़े,
जिसका वजूद-ए-इश्क़ क़ायनात बया करती है
वो कहते है महोब्बत बहोत है
मगर पूरी हो जाये
तो वो क़ायनात ही होती है जो रूठ जाती है।
सांसे थमी,ज़ुबाँ खामोश हुई,
हर दिल मे
उसीके अल्फाज़ो ने शोर मचाया है,
में आसमान की और देखता हूँ
सितारे ज़िलमिलाते हुए कहते है
कोई अपना करीब आता नज़र आया है|
_अंश
Past and present हर आज में बात कल की ही आती है
वो जो बीत चुका,वो जो आएगा,
सो बीते सो आए कल के बीच
समंदर पड़ा है मौके लेकर
और वो है "आज"
मौका नाविक बनने का
मौका लुटेरा बनने का
मौका खुद समंदर बनने का
हर खता को तेरी में माफ कर जाऊंगा
पर में जाऊंगा जरूर
ना, तू न ये समझ मे खफा हूँ
पर शायद वक़्त आ चुका है अलविदा होने का,में मुसाफिर हूँ पहाड़ो का मुझे म्हहोबत है खुले आसमान से
तो सिर्फ तू नही वो जहां में रुक नही सकता
वो में भी हु जहां रुकना मुझे गवारा नही।
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