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कवि जितेन्द्र पाण्डेय "उत्साहित" मो०नं०9761337370 💐 दिलो में जीना है मुझको, मुझे है भूख शोहरत की 💐
Dekh Bhai परिधान कीमती है पर ,अंग नंग दिख रहा। होता संस्कार संग , हुड़दंग जंग दिख रहा। हम खो रहे है क्या कोई सोच क्यूँ नही रहा। आचरण पे आवरण का, संग तंग दिख रहा। ©Jitendra Pandey
Jitendra Pandey
8 Love
जो समाज को सुधार दे,कुछ ऐसी कविता हो सदा मानवीय प्यार दे , कुछ ऐसी कविता हो सरोकार ले मधुरता, बस यही श्रंगार मिले शब्द संबंध निखार दे, कुछ ऐसी कविता हो ©Jitendra Pandey
19 Love
प्राप्त हो प्रत्येक रंग, रंग संग हो उमंग,, हर ओर घनघोर,खुशियां सुधाई हो। हास परिहास खास,हर्ष हो अशेष पास,, खेले रंग भाई संग,भाई की लुगाई हो। प्रीत मीत जीत वाली,सतरंगी है निराली,, धरती पे करती ,अबीर से रंगाई हो। मेरे मन की ये भावना, देती शुभकामना,, मेरे प्रिय प्रेमी तुम्हें, होली की बधाई हो। ©Jitendra Pandey
कुछ गणितीय पढ़िये ********************** जब हमको एक समझ निन्यानबे ने, साथ लगाया पूरा सौ हो गया। फिर भूलवश हमको शून्य समझकर, छोड़ा उसका 90%खो गया।। ©Jitendra Pandey
9 Love
आज मेरे विश्वास ने मुझको, पता नहीं क्यूँ धमकाया भूल क्या हुई कहाँ मुझसे, मै तो कुछ समझ न पाया उदासी भी पछतावे संग पूरे दिन वो मेरे साथ रही परन्तु तनहाई संगति से , मैने अपना दिन बिताया ©Jitendra Pandey
11 Love
चाहत के बागीचे मे,सुमन मिलन के खिलते रहें निष्ठा के नूतन धागे से,हम प्रेम वसन सिलते रहें चाहें समय बदलता रहे पर हम ना बदलें कभी आज मिले जैसे हम,वैसे सदा सदा मिलते रहें ©Jitendra Pandey
14 Love
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