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नये दौर में इश्क़ नौकरी का वादा चाहता है. वो अब रह जाएंगे जो चांद तारो में रह गए
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Suraj Goswami
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मत पूछ की शहर में ये तनाव कैसा है तू गांव से आया है बता गाँव कैसा है रात निकलती नही थी फूटने के डर से उस तालाब में पानी का भराव कैसा है सुना है पुलिस करती है मसले हल उस चौपाल पर फिर जमाव कैसा है जाती थी सेवइयां लौट आती थी मिठाई पहले था त्यौहारो पर वो लगाव कैसा है वो जो राहगीरों को रास्ता दिखाता था उस पागल पर मरने का दबाव कैसा है ©Suraj Goswami
15 Love
उम्मीदे-इकरार पर चल रही है मुहब्बत उधार पर चल रही है एक अच्छे खासे चारागर की जिंदगी बीमार पर चल रही है कोई जमीं पर फिसल रहा है छिपकली दीवार पर चल रहीं है कौन फूल तोड़ने आने वाला है कैंची क्यों ख़ार पर चल रही है इस बार भी वो चिमटा ले न सका सेल त्योहार पर चल रही है ©Suraj Goswami
12 Love
उम्मीदे-इकरार पर चल रही है मुहब्बत उधार पर चल रही है एक अच्छे खासे चारागर की जिंदगी बीमार पर चल रही है कोई जमीं पर फिसल रहा है छिपकली दीवार पर चल रहीं है वो भी जानता है झूठ है मगर तरकीब यार पर चल रही है ©Suraj Goswami
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