Rajat Pratap Singh

Rajat Pratap Singh

दिल के विचारों को शब्दों में समेटने का प्रयास करता हूँ ।

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#chaandsifarish  आपको देखकर अब ये चांद भी, फीका नज़र आता है,
मेरा हाल - ए - दिल अब मुझे, बेकरार नज़र आता है, 
आपके रूख़ की हया को देखकर, शर्मा गया है गुलाब,
ख्वाबों में भी हमें अब आपका, अक्स नज़र आता है ।

©Rajat Pratap Singh
#BadhtiZindagi #Shayar #moveon #diary  तुझसे नाराज़ होने को ये दिल हामी नहीं भरता,
हिज़्र का वक्त अब जीने में आसानी नहीं करता ।

तेरी बातों में खोकर,भूल जाता है मेरे मन की बात,
तुझसे प्यार करने में ये, कोई बेईमानी नहीं करता ।

एक मुद्दत के बाद मिला था कल एक यार पुराना,
अब वो भी मुझसे कोई, बात पुरानी नहीं करता।

चांद भी शायद रूठ गया है, मेरे मन के सपनों से,
मेरे ख़्वाबों में ये कोई अब, रात सुहानी नहीं करता ।

तुम भूल गए किरदारों को, ये उनकी किस्मत है 'राज़',
किरदारों का मरना भी अब, अंत कहानी नहीं करता।

©Rajat Pratap Singh

तेरे साथ के ख़्वाब ने मुझे एक, मुंतज़िर बना दिया, बंदगी करते- करते मुहब्बत ने, काफ़िर बना दिया, इन मंज़िलों की तमन्ना ने, सारे नज़ारे भुला दिए, नज़ारों की ख्वाहिश ने मुझे, मुसाफ़िर बना दिया । ©Rajat Pratap Singh

#मुंताजिर #Shayar #Shajar  तेरे साथ के ख़्वाब ने मुझे एक, मुंतज़िर बना दिया,
बंदगी करते- करते मुहब्बत ने, काफ़िर बना दिया,
इन मंज़िलों की तमन्ना ने, सारे नज़ारे भुला दिए, 
नज़ारों की ख्वाहिश ने मुझे, मुसाफ़िर बना दिया ।

©Rajat Pratap Singh
#FriendshipDay #HeartBreak #LostBond #Friend #miss  हर रात ख़्वाबों में मुझे, तेरा शहर नज़र आता है,
मेरे हाल से अब तू भी, बेखबर नज़र आता है ।

हर शख़्स नज़र आता है, उन पुरानी राहों पर,
मुझे तो बस वो वीरान दरख़्त नज़र आता है ।

हर बात जो कह देता था, बेबाक हर किसी से,
आईने में मुझे वो अब, खामोश नज़र आता है ।

अब कई शौक हैं मेरे, एक शौक भुलाने के लिए,
वो एक शौक मुझे अब, गुमनाम नज़र आता है ।

वो खामोश राज़ तेरी आँखों का, हम राज़ रखेंगे,
हर हर्फ पर आज भी, तेरा चेहरा नज़र आता है ।

©Rajat Pratap Singh
#wanderlust #andhere #moveon #lost  धीरे- धीरे  झुरमुटों में, वो मेरा आफताब, अब ढल गया,
देखो ना पूरा आसमान ये, किन अंधेरों से फिर भर गया । 

ख़ामोश- सा बस चल रहा था, जो तुम्हारे साथ - साथ,
ये फिजाएं पूछती हैं, कि वो शख़्स अब किधर गया ।

मिलती नहीं फुर्सत मुझे अब, तुझे याद करने की ज़रा, 
एक अरसा हुआ, वो दौर तो कब का भला, गुज़र गया ।

इन सुनसान सी राहों को क्यों, अब ताकते हो दूर तक,
खोजता है दिल जिसे, वो पुराना यार, अब शहर गया ।

ख़्वाब की इन बारिशों में, आज जो खोए हैं जो 'राज़',
मुड़ के देखा जो उसने फिर तो, सारा खुमार उतर गया ।

©Rajat Pratap Singh

आओ हम तुम जाकर बैठें, उस हृदय तरु के आँचल में, चलें किसी चंचल धारा जैसे, जीवन के इस मरुथल में । हिमकर के स्वर्णिम सपनों में, मैं खोया था, थी अमा रात, तुम आईं बनकर अरूण दीप, तम ही तम था, जीवन तल में । ये अंबर था वीरान बहुत, संध्या गहरी होती थी क्षण क्षण में, ये मेघ चले थे कुछ अकुलाये से, ज्यों नयन नीर हो काजल में । सब हुआ मौन, सब गया ठहर अब, जैसे मन हो निर्जन वन में, अब क्या यथार्थ अब क्या स्वप्न, सबकुछ सिमटा है इस पल में । ©Rajat Pratap Singh

#Nightlight #poem  आओ हम तुम जाकर बैठें, उस हृदय तरु के आँचल में,
चलें किसी चंचल धारा जैसे, जीवन के इस मरुथल में ।

हिमकर के स्वर्णिम सपनों में, मैं खोया था, थी अमा रात,
तुम आईं बनकर अरूण दीप, तम ही तम था, जीवन तल में ।

ये अंबर था वीरान बहुत, संध्या गहरी होती थी क्षण क्षण में,
ये मेघ चले थे कुछ अकुलाये से, ज्यों नयन नीर हो काजल में ।

सब हुआ मौन, सब गया ठहर अब, जैसे मन हो निर्जन वन में,
अब क्या यथार्थ अब क्या स्वप्न, सबकुछ सिमटा है इस पल में ।

©Rajat Pratap Singh

#Nightlight #Love #poem

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