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Rajasthan
में चांद हूं मेरी परछाई तो समंदर में भी आती हैं और घर भी बड़ी दूर है उसका फिर भी मिलने के बहाने रोज़ समंदर किनारे आती हैं ©Akhil Saini
Akhil Saini
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हर होली पर मिलते हैं रंगबाज पूरे शहर में, पर इस बार हमारी मुलाकात कुछ दगेंबाजो से होगी ।। ©Akhil Saini
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महफ़िल लगी थी शायरो की, एक बादशाह बनाने को और जब उछला नाम हमारा, तो सब वाह! वाह! करने लगे...|| Akhil saini ©Akhil Saini
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ऐ कलम......✍️ जिस उम्र में हमें घर की जिम्मेदारियां उठानी थी उस उम्र में हमने तेरा हाथ थाम रखा हैं,✍️📚 पर हां, तू नाराज ना हो तो तुझसे एक सवाल हैं मेरा, ये मेरा आखरी साल हैं..।।📝 ©Akhil Saini
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