English
life is love ☺️
मायूस भी हूँ मौन भी हूँ खुद से अभी अनजान भी हूँ राह अकेली है डगर ज़रा विरान है खुद पर भरोसा है मगर मन में भावनाओं का अजब सा तूफ़ान है कलम चल रही है पर शब्दों के खेल से अभी अनजान हूँ खेल है शब्दों का या खेल है दुनिया का इससे ज़रा अबोध हूँ अबोध बालक हूँ मैं या नासमझ कोई मूर्ख हूँ ? मूर्ख हूँ तो क्यों हूँ ? करते तभी लोग मेरा उपहास है क्यों ? उपहास करना फ़ितरत है उनकी या मुझे में ही कोई कमी है ऐसी ! कमी है भी तो क्या कमी है ? और ये कमी है क्यों? न जाने मन मेरा सवालों के इस कटहरे में क्यों खड़ा है यूँ ? ©Nitesh sinwal
Nitesh Sinwal
12 Love
Pure Love i don't know how to explain it but I know how to love nature this called pure love not a False love so make a great day with animals and nature ©Nitesh Kumar Sinwal
44 Love
एक मुलाकात थी चंद पलो के लिए आज वो चंद पल भी मुक्कमल नहीं है मै तो उस्ताद बन बैठा अपने गुरूर का पर वो गुरूर भी इतना सुरूप न था ©Nitesh Kumar Sinwal
42 Love
पेंडो़ अपनी कोंपल निकालो फूलों अपनी सुंगध बिखेरो आखिर मैं आ गया मेरी अभिलाषा कोई दुःखी ना रहे रहो सुखी , दुनिया वालों देखो तुम इसी खंड में जन्मी मां शारदा इसी खंड में नव वर्ष भारतीयों का अब अरविंद खिलो तुम चलो मां शारदा के चरणों में आजादी से तेरे उस सुनहरे पानी में उस वन से देखो कितनी सुनहरी सुगंध आ रही मानो महेश ने मुझे आने की बधाई दे रखी ये तो कुदरत का करिश्मा है मैंने कुछ नहीं किया मैंने तो बस खुशहाली हरियाली बॉटी है इसलिए तो मैं कहा जाता हॅु सभी ऋतुओं का राजा ऋतुराज इसी खंड में बनता है माधव (शहद) इसलिए मेरा भी नाम पड़ा माधव अभी सही वक्त है तुम्हारे लिए नि: संदेह सफल होवोगे तुम गवाना मत तुम मुझे वरना मैं गवा दूंगा तुम्हें ………. ©Nitesh Kumar Sinwal
47 Love
#Lohri ਆਪ ਸਭ ਨੂੰ ਲੋਹੜੀ ਮੁਬਾਰਕ ਲੋਹੜੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਤੁਹਾਡੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਅਤੇ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ HAPPY LOHRI ©Nitin shubramanyam panjabi
49 Love
दुःखी वृक्ष का मानव को संदेश मेरी वन संपदा प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त हो तो भी है मानव जाति क्यो तु सो रही हैं तुझे कड़कती धूप में छांव देने हर कष्ट सहता हूं हर मौसम सिर्फ तेरे लिए तटस्थ खड़ा रहता हूं भुलो मत की अन्न जल मुझसे ही आता है लेकिन तू अपने स्वार्थ के लिए मुझे काट जाता है तेरी वेदनादायी कुल्हाड़ी से दर्द भरे घाव मुझे होते हैं मेरी इस प्राणहीन दशा को देख निसर्ग प्रेमी भी रोते हैं अरे ! मै क्यों इस मानव को अपनी दुःखी कथा सुना रहा इनका चहेता कॉन्क्रीट वन का युग अब आ गया ©Nitin shubramanyam panjabi
57 Love
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