Sandeep Kumar

Sandeep Kumar

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हर शाम कह जाती है एक कहानी ! हर सुबह ले आती है एक नई कहानी ! रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन ! मंजिल रह जाती है वही पुरानी !

444 Love

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा

413 Love

बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो, बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो । हम आज ऐसे किसी ज़िन्दगी के मोड़ पे हैं, न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो । तुम्हें ही छाँव समझकर हम आ गए हैं इधर, तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो ।

बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो, बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो । हम आज ऐसे किसी ज़िन्दगी के मोड़ पे हैं, न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो । तुम्हें ही छाँव समझकर हम आ गए हैं इधर, तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो ।

341 Love

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम चाहे महफ़िल में रहूं चाहे अकेले में रहूं गूंजती रहती हो मुझमें शोख शहनाई-सी तुम

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम चाहे महफ़िल में रहूं चाहे अकेले में रहूं गूंजती रहती हो मुझमें शोख शहनाई-सी तुम

317 Love

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