Dil ( इज़हार )
तुम्हारी आंखें बयाँ कर देती हैं कि
तुम कितना प्यार करती हो।
रोज तो मुलाकात होती हैं तुमसे,
फिर भी क्यों इज़हार न करती हो।।
❤️लेखक🖋️- प्रियांशु राज❤️
( मेरी कल्पना )
तू मीठी-सी खुशबू हैं,
तो मैं भी भटकता सा भँवरा हूँ।
अगर तू फूलों में बसती हैं,
तो मैं भी फूलों से ही मुलाकात करता हूँ।।
❤️लेखक🖋️- प्रियांशु राज❤️
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