Akshesh Shrivastava

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हम रास्ते में मिले, फिर कुछ देर साथ चले। बातचीत शुरू की, कुछ गुफ्तगू की। मैंने उसे पैर के छाले दिखाए, उसने धूप में जलता बदन बताया। दोनों ने ही एक दूजे के लिए खूब अफसोस जताया। घूम रहे थे मदमस्त कभी शहर कभी गांव में। फिर थक कर बैठ गए हम पेड़ की छाव में। सुख दुख को बांट रहे थे। यूं ही रास्ता काट रहे थे। मंजिल से बेखबर थे, हम तो सिर्फ सफर थे। किसी कहां जाना था पूछा ही नहीं। डगर कब खत्म होगी सोचा ही नही। फिर अचानक से एक ठहराव आया। चलते चलते आखिरी पड़ाव आया। दो रास्ते थे, एक उसका एक मेरा था। कुछ पल ही सही मैं वहां ठहरा था। सफर सुखद था। मंजिल पर पहुंचना दुखद था। क्यूंकि बिछड़ना था उससे जो हम सफर था। इस बात से तो मैं रास्ते भर बेखबर था। भले हमराही से बिछड़ना दुख है मज़बूरी है। पर मंजिल तक पहुंचना भी तो जरूरी है। ये सफर भी याद रहेगा, ये हम सफर भी याद रहेगा। अलविदा कह कर इस मोड़ पर, फिर शायद किसी और राह मिलेगा।

#नवगीत #Nofear #kavita #poatry  हम रास्ते में मिले,
फिर कुछ देर साथ चले।
बातचीत शुरू की,
कुछ गुफ्तगू की।
मैंने उसे पैर के छाले दिखाए,
उसने धूप में जलता बदन बताया।
दोनों ने ही एक दूजे के लिए
खूब अफसोस जताया।
घूम रहे थे मदमस्त कभी शहर कभी गांव में।
फिर थक कर बैठ गए हम पेड़ की छाव में।
सुख दुख को बांट रहे थे।
यूं ही रास्ता काट रहे थे।
मंजिल से बेखबर थे,
हम तो सिर्फ सफर थे।
किसी कहां जाना था पूछा ही नहीं।
डगर कब खत्म होगी सोचा ही नही।
फिर अचानक से एक ठहराव आया।
चलते चलते आखिरी पड़ाव आया।
दो रास्ते थे, एक उसका एक मेरा था।
कुछ पल ही सही मैं वहां ठहरा था।
सफर सुखद था।
मंजिल पर पहुंचना दुखद था।
क्यूंकि बिछड़ना था उससे जो हम सफर था।
इस बात से तो मैं रास्ते भर बेखबर था।
भले हमराही से बिछड़ना दुख है मज़बूरी है।
पर मंजिल तक पहुंचना भी तो जरूरी है।
ये सफर भी याद रहेगा,
ये हम सफर भी याद रहेगा।
अलविदा कह कर इस मोड़ पर,
फिर शायद किसी और राह मिलेगा।

हे! नारी तू महान है| शत शत तुझे प्रणाम है ……|| फूलो सी कोमल होकर, काँटो मे रह लेती हो …| खामोशी होंठो पर रख, कितना कुछ सह लेती हो…|| स्वाभिमान श्रन्गार तेरा त्याग तेरी पहचान है ……| हे! नारी तू महान है …………………|| माँ हो बेटी हो या हो भार्या, तेरा हर रुप निराला है ……| खुद मे खुद को खोने वाली, तूने जग को पाला है ……|| कर्ज तुम्हारा हम पर, जग ने माना एहसान है ……| हे! नारी तू महान है ……………………|| नारी तुम नही हो अवला, तुम सबल शक्ति ज्वाला हो ……| झाँसी की रानी लक्ष्मी तुम , दुर्गा सी वीर वाला हो ……|| करे जो तेरा अपमान , वो मनुष्य पशु समान है……| हे! नारी तू महान है ………………|| सागर से दिल मे तूने, कितना दर्द समाया है ……| जीवन सफल उसी का, जिसने आशीष तेरा पाया है ……| "अक्स" हमारा तुमसे , तुमसे हमारी शान है ……| हे! नारी तू महान है ……| शत शत तुझे प्रणाम है ………|| अक्षेश श्रीवास्तव "अक्स"

#womensday #Poet #poem  हे! नारी तू महान है|
शत शत तुझे प्रणाम है ……||
फूलो सी कोमल होकर, 
काँटो मे रह लेती हो …|
खामोशी होंठो पर रख, 
कितना कुछ सह लेती हो…||
स्वाभिमान श्रन्गार तेरा 
त्याग तेरी पहचान है ……|
हे! नारी तू महान है …………………||

माँ हो बेटी हो या हो भार्या,
तेरा हर रुप निराला है ……|
खुद मे खुद को खोने वाली,
तूने जग को पाला है ……||
कर्ज तुम्हारा हम पर,
जग ने माना एहसान है ……|
हे! नारी तू महान है ……………………||

नारी तुम नही हो अवला,
तुम सबल शक्ति ज्वाला हो ……|
झाँसी की रानी लक्ष्मी तुम ,
दुर्गा सी वीर वाला हो ……||
करे जो तेरा अपमान ,
वो मनुष्य पशु समान है……|
हे! नारी तू महान है ………………||

सागर से दिल मे तूने,
कितना दर्द समाया है ……|
जीवन सफल उसी का,
जिसने आशीष तेरा पाया है ……|
"अक्स" हमारा तुमसे ,
तुमसे हमारी शान है ……|
हे! नारी तू महान है ……|
शत शत तुझे प्रणाम है ………||
अक्षेश श्रीवास्तव "अक्स"

मैंने तिली जलाई सिगरेट सुलगाई, कश लगाया धुआं निकाला, और इस तरह मैने सारी फिकर को धुएं में उड़ाया।

#Quotes #lonely  मैंने तिली जलाई
सिगरेट सुलगाई,
कश लगाया 
धुआं निकाला,
और इस तरह मैने 
सारी फिकर को
धुएं में उड़ाया।

#lonely

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#कविता  Akshesh Shrivastava aks

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