आँखें उसकी,
झील सी शीतल हैं,
बातो में उसकी झड़ने सी
चंचलता हैं।
ज़नाब…!
उसकी बखान मैं क्या करूँ
वो खुद में एक कविता है।
9 Love
कुछ अनजान रिश्ते,
यूँ ही जुड़ जाती हैं
हम उन्हें
टूटकर निभाते हैंl
कभी हँसते_हँसाते हैं
कभी वेवजह तड़पाते हैं,
हर हाल एक_दूसरे को
बतलाते हैं।
हर खुशी_गम में
एक दूसरे को मिलाते हैं,
रिश्ते की कोई
ओर_छोड़ नही
फिर भी निभाते हैंl
इतना होते हुए भी
ज़नाब…!
ये रिश्ते अनजान कहलाते हैं।
💞💞💞💞💞💞💞💞
कुछ अनजान रिश्ते,
यूँ ही जुड़ जाती हैं
हम उन्हें
टूटकर निभाते हैंl
कभी हँसते_हँसाते हैं
कभी वेवजह तड़पाते हैं,
हर हाल एक_दूसरे को
बतलाते हैं।
हर खुशी_गम में
एक दूसरे को मिलाते हैं,
रिश्ते की कोई
ओर_छोड़ नही
फिर भी निभाते हैंl
इतना होते हुए भी
ज़नाब…!
ये रिश्ते अनजान कहलाते हैं।
💞💞💞💞💞💞💞💞
3 Love
ज़िन्दगी तो हल्की_फुल्की सी हैं
ज़नाब…!
बोझ तो ख्वाइशों का हैं।
ये इश्क़ इबादत की
रिवायत भी अजीब हैं
ज़नाब....!
जिसे पाया तक नही
उसे खोने से डरते हैं।
7 Love
चाहत के हर दिन
मोह्हबत की हर रात चाहता हूं,
दिल मे तो हैं कई बात
उन बातों के लिए एक मुलाक़ात चाहता हूँ।
चाहत ने जलाई ऐसी तलब की
ढ़लते बसंत में मैं
चढ़ती बरसात चाहता हूं।।💞
चाहत के हर दिन
मोह्हबत की हर रात चाहता हूं,
दिल मे तो हैं कई बात
उन बातों के लिए एक मुलाक़ात चाहता हूँ।
चाहत ने जलाई ऐसी तलब की
ढ़लते बसंत में मैं
चढ़ती बरसात चाहता हूं।।💞
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