kavi shubham shrivastava

kavi shubham shrivastava Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

engineer as well as poet

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माँ न कुछ लिखने की जरूरत है , ना कुछ करने से अदा होगा , ओ मां तेरा सजदा, उस खुदा से पहले सदा होगा शुभम............

 माँ न कुछ लिखने की जरूरत है , 
    ना कुछ करने से अदा होगा ,   
ओ मां तेरा सजदा,    
 उस खुदा से पहले  सदा होगा   
 शुभम............

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5 Love

एक औरत चाहे तो जिसकी हिम्मत को दुनिया परख सकती है पुरुषों से ये कभी पीछे ना रह सकती हैं औरतों ने है गर यही ठान लिया -2 लाके सूरज को जमीं पर भी रख सकती हैं ।।

 एक औरत चाहे तो  जिसकी हिम्मत को दुनिया परख सकती है 
पुरुषों से ये कभी पीछे ना रह सकती हैं 
औरतों ने  है गर यही ठान लिया -2 
लाके सूरज को जमीं पर भी रख सकती हैं ।।

एक औरत चाहे तो जिसकी हिम्मत को दुनिया परख सकती है पुरुषों से ये कभी पीछे ना रह सकती हैं औरतों ने है गर यही ठान लिया -2 लाके सूरज को जमीं पर भी रख सकती हैं ।।

18 Love

"विजय गाथा" ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है , तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है । कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है ।। ले देख की.......... हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे , मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे । पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को -2 जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।। ले देख की............ पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब -2 क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।। ले देख के ............. पाक ही होके जब तूने नापाक ये हरकत कर ही दी, हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी । आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।। ले देख की ............ सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम , लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम । अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।। जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा फहरेगा -2 पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।। सुन ले आखिरी बार तू युवा खून ये बोल रहा -2 इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात तुम्हारी क्या है ।। ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है ।।।। शुभम श्रीवास्तव

 "विजय गाथा"
 ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है ,
तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है ।
 कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2

 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है  ।।
  ले देख की..........
 हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे ,
मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे ।
 पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को  -2
जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।।
ले देख की............
 पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया 
किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया
 मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब  -2
क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।।
 ले देख के .............
पाक  ही होके जब तूने नापाक  ये हरकत कर ही दी, 
 हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी ।
 आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं 
अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।।
ले देख की ............
सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम ,
लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम ।
अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है 
अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।।
जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा  फहरेगा -2 
पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।।
सुन ले आखिरी बार तू  युवा   खून ये बोल रहा -2
इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात  तुम्हारी क्या है ।।
ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है 
तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है  ।।।।
शुभम श्रीवास्तव

""विजय गाथा"" .....

19 Love

अधूरी मोहब्बत अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने खिलाफत में था जो ये अपने जमाना जमाने से बगावत न की थी क्यों तुमने अधूरी मोहब्बत ........... तुम ही ने कहा था कि साथ जियेंगे तुम ही पर मिटेंगे, तुम ही से बनेंगे हुए क्या वे वादे जो तुमने किए थे तुम तो जी भी गए हो हम जी ना सकेंगे सोचा नहीं मेरे बारे में तुमने अधूरी मोहब्बत....... मुझे चुनना था अपनी मंजिल को यूं तो जो जाती थी तेरे साहिल को यूं तो अभी हूं मैं राहों में राहें हैं सूनी मेरा दिल है कहता मिलेंगे हम यूं तो अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने ।।

 अधूरी मोहब्बत 
अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने 
तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने 
खिलाफत में था जो ये अपने जमाना 
जमाने से बगावत न की थी क्यों तुमने 
अधूरी मोहब्बत ...........
तुम ही ने कहा था कि साथ जियेंगे 
तुम ही पर मिटेंगे, तुम ही से बनेंगे 
हुए क्या  वे वादे जो तुमने किए थे 
तुम तो जी भी गए हो हम जी ना सकेंगे 
सोचा नहीं मेरे बारे में तुमने 
अधूरी मोहब्बत.......
 मुझे चुनना था अपनी मंजिल को यूं तो 
जो जाती थी तेरे साहिल को यूं तो
 अभी हूं मैं राहों में राहें हैं सूनी 
मेरा दिल है कहता मिलेंगे हम यूं तो 
अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने 
तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने ।।

अधूरी मोहब्बत......

5 Love

मैं यहाँ, तू वहाँ. कुछ इस तरह वह मेरे सब्र का ,इम्तिहान लेता है जैसे मां से दुआएं ,हर इंसान लेता है औ क्यों खो गया है मेरे सुकून का असर-2 कि रोज आके सपनों में तेरी खबर ,कोई अनजान देता है ll

 मैं यहाँ, तू वहाँ. 

कुछ इस तरह वह मेरे सब्र का ,इम्तिहान लेता है
    जैसे मां से दुआएं ,हर इंसान लेता है
औ क्यों खो गया है मेरे सुकून का असर-2
 कि रोज आके सपनों में तेरी खबर ,कोई अनजान देता है ll

दुआएं....

17 Love

इससे बेहतर और क्या हो सकता है, मेरे इश्क का हाल बाहें फैलाए खड़े रहते थे जो कभी ,वो खुद गिरे हैं किसी और की बाहों में बेतरतीब ll

 इससे बेहतर और क्या हो सकता है, मेरे इश्क का हाल
 बाहें फैलाए खड़े रहते थे जो कभी ,वो खुद गिरे हैं किसी और की बाहों में बेतरतीब ll

बेतरतीब.....

5 Love

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