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New नदी के द्वीप कविता का सारांश Status, Photo, Video

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ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति #कविता  ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

16 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

7 Love

#कविता #socialissues #sad_poetry #womenlife #Trending #Kolkata  White साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

डर, अपने चरित्र को बचाने की
समाज में बराबर का ओहदा पाने की
खुदको सफल और संपन्न बनाने की

डर, इस बात की, कहीं कोई बात न हो जाए
घर – दफ्तर के बीच कहीं ज्यादा रात न हो जाए
एक गलत कदम और सब कुछ बर्बाद न हो जाए

डर कायम रहा...
लेकिन वो नारी है, इतनी जल्दी कहां हारी है
औरतें इतने पर रुकीं नहीं, वक्त के आगे झुकी नहीं
चलती गई, अपने सपने बुनती गई

साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

©shinning shristi

औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

81 View

#कविता

🍁एक चांद के दीदार का,था वादा साथ में👩‍❤️‍👨 कविताएं बारिश पर कविता कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता

117 View

Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain

#कविता #नदी #Thinking #घर  Black 
                  ‘घर’ सा बनकर आना...


हर कोई यहां नदी सा है
जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ...
मगर जो हमेशा स्थिर रह सके
तुम मेरे लिए एक घर जैसे  बन जाना!

आज साथ हैं पर कल का पता नही
ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं...
मगर तुम आना तो कुछ इस तरह 
कोई ‘घर’ सा बन कर आना....
मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं
और तुम ‘घर’ की तरह  मुझे याद आना!

©Pallavi Mamgain

तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता

18 Love

#भक्ति

सरयू नदी के तट पर

144 View

ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति #कविता  ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

16 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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#कविता #socialissues #sad_poetry #womenlife #Trending #Kolkata  White साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

डर, अपने चरित्र को बचाने की
समाज में बराबर का ओहदा पाने की
खुदको सफल और संपन्न बनाने की

डर, इस बात की, कहीं कोई बात न हो जाए
घर – दफ्तर के बीच कहीं ज्यादा रात न हो जाए
एक गलत कदम और सब कुछ बर्बाद न हो जाए

डर कायम रहा...
लेकिन वो नारी है, इतनी जल्दी कहां हारी है
औरतें इतने पर रुकीं नहीं, वक्त के आगे झुकी नहीं
चलती गई, अपने सपने बुनती गई

साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

©shinning shristi

औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

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#कविता

🍁एक चांद के दीदार का,था वादा साथ में👩‍❤️‍👨 कविताएं बारिश पर कविता कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता

117 View

Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain

#कविता #नदी #Thinking #घर  Black 
                  ‘घर’ सा बनकर आना...


हर कोई यहां नदी सा है
जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ...
मगर जो हमेशा स्थिर रह सके
तुम मेरे लिए एक घर जैसे  बन जाना!

आज साथ हैं पर कल का पता नही
ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं...
मगर तुम आना तो कुछ इस तरह 
कोई ‘घर’ सा बन कर आना....
मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं
और तुम ‘घर’ की तरह  मुझे याद आना!

©Pallavi Mamgain

तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता

18 Love

#भक्ति

सरयू नदी के तट पर

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