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New कविता तिवारी कवियत्री Status, Photo, Video

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White एकमात्र इंसान ही है , जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को, यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है। इसलिए ईश्वर भी दंड देता है। असहनीय पीड़ा देता है। विछोह देता है, विरह देता है, देता है कैंसर पर नहीं देता मृत्यु। ये दया है परम शक्ति का नियंत्रण हेतु। या है अपनी सत्ता का में दाता हो जाने का अहम झुको,मानो फिर दान में लो भक्ति जिस से उपजा लेता है मनुष्य भोग। ©निर्भय चौहान

#कविता #Sad_Status  White एकमात्र इंसान ही है ,
जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को,
यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है।
इसलिए ईश्वर भी दंड देता है।
असहनीय पीड़ा देता है।
विछोह देता है,
विरह देता है,
देता है कैंसर पर 
नहीं देता मृत्यु।
ये दया है परम शक्ति का 
नियंत्रण हेतु।
या है अपनी सत्ता का 
में दाता हो जाने का अहम
झुको,मानो
फिर दान में लो भक्ति
जिस से उपजा लेता है 
मनुष्य भोग।

©निर्भय चौहान

#Sad_Status वरुण तिवारी @vandan sharma करम गोरखपुरिया @Anshu writer @Kumar Shaurya हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी कविता देशभक्ति कव

17 Love

#कविता #sad_quotes  White वक्त ले आएगा फिर ये मौसम मगर 
दिल ये तुमको दुबारा कहां पाएगा 
जिंदगी का सफर रास्तों का हुआ 
प्यार देखो हमारा कहां जायेगा 

हर तरफ बेकसी हर तरफ बेबसी 
सांस का बोझ कैसे उठाएंगे हम 
हर डगर तेरे दर को ही जाने लगी
किस गली में ये सर को उठाएंगे हम 

देखो तुम भूल कर भूल कर जाओगी 
उतना तड़पोगी जितना ही तड़पाओगी 
कोई दुल्हन बना कर क्या ही पाएगा 
हर  छुअन में तेरी रूह शर्माएगी  

रात भर चांद खिड़की पे होगा मगर
नूर चेहरे पे तेरे नहीं आएगा
नाम जब अपने बच्चों की लोगी  कभी 
एक गुजरा जमाना उभर आएगा 

हाथ की इन लकीरों का क्या फायदा
जिनमे दुनिया लिखी है मगर तुम नहीं 
मेरे रुतबे , कहानी  का मतलब है क्या
जिससे तुम ना जुड़ी , जिसमे गर तुम नहीं 

बस यही ख्वाब अब देखता हूं सदा
लाल जोड़े में तुम रास्तों में खड़ी 
एक सूखे हुए वट के नीचे कहीं  
लाश उम्मीद की कोहरे में पड़ी 

नींद से जाग कर खत तेरे ढूंढ कर
अपने सीने पे रख कर के सो लेता हूं 
फिर वही ख्वाब मुझको जगा जाता है 
इस दफा तुमको छू कर के रो लेता हूं। 

ख्वाब की सारी बातें अजी छोड़िए
जाइए अपनी खुशियों से दिल जोड़िए 
हम यहां चैन से रोज मरते रहे
आप तो शौक से यार दिल तोड़िए

©निर्भय चौहान

#sad_quotes करम गोरखपुरिया वरुण तिवारी Rakhee ki kalam se Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava हिंदी कविता प्यार पर कविता हिंदी कवित

99 View

#women_equality_day #कविता  White लूट गई गुड़िया की सांसे वासना के खेल में,
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

न्याय का ये दंभ देखो,हो रहा मलखंभ देखो।
फौज पूरी है लगी पड़ी है आज उसके बेल में।।

आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

धर्म जाति और पार्टी बांट कर बहला रही।
स्वार्थ में पोषित कर रावण इठला रही ।
डर रही है लड़किया स्कूल कॉलेज रेल में।

कृष्ण की दरकार क्या जो दूर से ही चीर दे 
भीम लाओ जो लड़े फिर दुःसाशन चीर दे
लिंग काटो पापियों के तल के रख दो तेल में।

दी कलम अब बेटियों के हाथ में तलवार दो
ये सिखाओ जो भी छेड़े तत्क्षण उसे तुम मार दो
न्याय अंधा ,लोकतंत्र गूंगा , बहरी ये सरकार है
दंभी पुरषार्थ का ये आत्ममुग्ध व्यवहार है।
डर से हो तो डर बनाओ,सर से हो तो सर को काटो।
जुल्म के ऐसे समय में बेटियों का घर न बांटो 
बेटियां अपने यहां तो होती सब समाज की।
मिल के रक्षा करनी हो बेटियों के लाज की।
हो जमीं का कोई टुकड़ा,कोई भाषा भाषी हो।
बस आवाज यही आवाज आए पापियों को फांसी हो।
पापी वो जो सोचते हैं बेटियां है सेल में।

©निर्भय चौहान

#women_equality_day वरुण तिवारी @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena नीर @Madhusudan Shrivastava कविता कोश हिंदी कविता

234 View

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

#पापा उंगली पकड़कर चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया,  आप को पाकर लगता है ऐसा,  आपके रूप में प्रभु को है पाया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा,  पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa. Papa mere papa.. धूप में मेरी छाया बने हो,  मुसीबत में बने मेरा सहारा,  आपका जो मिला मुझे साथ,  निखिल फिर कभी नहीं हारा  आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa..  हर सपनों को मेरे पूरा है किया, जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया, आई जो मुझ पर कभी कोई आंच, उसको आप ने अपने सर है लिया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa.. ©शर्मा निखिल

#कविता #पापा #foryoupapa  #पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया, 
आप को पाकर लगता है ऐसा, 
आपके रूप में प्रभु को है पाया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा, 
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa.
Papa mere papa..

धूप में मेरी छाया बने हो, 
मुसीबत में बने मेरा सहारा, 
आपका जो मिला मुझे साथ, 
निखिल फिर कभी नहीं हारा 

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa.. 

हर सपनों को मेरे पूरा है किया,
जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया,
आई जो मुझ पर कभी कोई आंच,
उसको आप ने अपने सर है लिया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa..

©शर्मा निखिल

#foryoupapa हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश

13 Love

White एकमात्र इंसान ही है , जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को, यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है। इसलिए ईश्वर भी दंड देता है। असहनीय पीड़ा देता है। विछोह देता है, विरह देता है, देता है कैंसर पर नहीं देता मृत्यु। ये दया है परम शक्ति का नियंत्रण हेतु। या है अपनी सत्ता का में दाता हो जाने का अहम झुको,मानो फिर दान में लो भक्ति जिस से उपजा लेता है मनुष्य भोग। ©निर्भय चौहान

#कविता #Sad_Status  White एकमात्र इंसान ही है ,
जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को,
यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है।
इसलिए ईश्वर भी दंड देता है।
असहनीय पीड़ा देता है।
विछोह देता है,
विरह देता है,
देता है कैंसर पर 
नहीं देता मृत्यु।
ये दया है परम शक्ति का 
नियंत्रण हेतु।
या है अपनी सत्ता का 
में दाता हो जाने का अहम
झुको,मानो
फिर दान में लो भक्ति
जिस से उपजा लेता है 
मनुष्य भोग।

©निर्भय चौहान

#Sad_Status वरुण तिवारी @vandan sharma करम गोरखपुरिया @Anshu writer @Kumar Shaurya हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी कविता देशभक्ति कव

17 Love

#कविता #sad_quotes  White वक्त ले आएगा फिर ये मौसम मगर 
दिल ये तुमको दुबारा कहां पाएगा 
जिंदगी का सफर रास्तों का हुआ 
प्यार देखो हमारा कहां जायेगा 

हर तरफ बेकसी हर तरफ बेबसी 
सांस का बोझ कैसे उठाएंगे हम 
हर डगर तेरे दर को ही जाने लगी
किस गली में ये सर को उठाएंगे हम 

देखो तुम भूल कर भूल कर जाओगी 
उतना तड़पोगी जितना ही तड़पाओगी 
कोई दुल्हन बना कर क्या ही पाएगा 
हर  छुअन में तेरी रूह शर्माएगी  

रात भर चांद खिड़की पे होगा मगर
नूर चेहरे पे तेरे नहीं आएगा
नाम जब अपने बच्चों की लोगी  कभी 
एक गुजरा जमाना उभर आएगा 

हाथ की इन लकीरों का क्या फायदा
जिनमे दुनिया लिखी है मगर तुम नहीं 
मेरे रुतबे , कहानी  का मतलब है क्या
जिससे तुम ना जुड़ी , जिसमे गर तुम नहीं 

बस यही ख्वाब अब देखता हूं सदा
लाल जोड़े में तुम रास्तों में खड़ी 
एक सूखे हुए वट के नीचे कहीं  
लाश उम्मीद की कोहरे में पड़ी 

नींद से जाग कर खत तेरे ढूंढ कर
अपने सीने पे रख कर के सो लेता हूं 
फिर वही ख्वाब मुझको जगा जाता है 
इस दफा तुमको छू कर के रो लेता हूं। 

ख्वाब की सारी बातें अजी छोड़िए
जाइए अपनी खुशियों से दिल जोड़िए 
हम यहां चैन से रोज मरते रहे
आप तो शौक से यार दिल तोड़िए

©निर्भय चौहान

#sad_quotes करम गोरखपुरिया वरुण तिवारी Rakhee ki kalam se Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava हिंदी कविता प्यार पर कविता हिंदी कवित

99 View

#women_equality_day #कविता  White लूट गई गुड़िया की सांसे वासना के खेल में,
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

न्याय का ये दंभ देखो,हो रहा मलखंभ देखो।
फौज पूरी है लगी पड़ी है आज उसके बेल में।।

आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

धर्म जाति और पार्टी बांट कर बहला रही।
स्वार्थ में पोषित कर रावण इठला रही ।
डर रही है लड़किया स्कूल कॉलेज रेल में।

कृष्ण की दरकार क्या जो दूर से ही चीर दे 
भीम लाओ जो लड़े फिर दुःसाशन चीर दे
लिंग काटो पापियों के तल के रख दो तेल में।

दी कलम अब बेटियों के हाथ में तलवार दो
ये सिखाओ जो भी छेड़े तत्क्षण उसे तुम मार दो
न्याय अंधा ,लोकतंत्र गूंगा , बहरी ये सरकार है
दंभी पुरषार्थ का ये आत्ममुग्ध व्यवहार है।
डर से हो तो डर बनाओ,सर से हो तो सर को काटो।
जुल्म के ऐसे समय में बेटियों का घर न बांटो 
बेटियां अपने यहां तो होती सब समाज की।
मिल के रक्षा करनी हो बेटियों के लाज की।
हो जमीं का कोई टुकड़ा,कोई भाषा भाषी हो।
बस आवाज यही आवाज आए पापियों को फांसी हो।
पापी वो जो सोचते हैं बेटियां है सेल में।

©निर्भय चौहान

#women_equality_day वरुण तिवारी @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena नीर @Madhusudan Shrivastava कविता कोश हिंदी कविता

234 View

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

#पापा उंगली पकड़कर चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया,  आप को पाकर लगता है ऐसा,  आपके रूप में प्रभु को है पाया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा,  पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa. Papa mere papa.. धूप में मेरी छाया बने हो,  मुसीबत में बने मेरा सहारा,  आपका जो मिला मुझे साथ,  निखिल फिर कभी नहीं हारा  आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa..  हर सपनों को मेरे पूरा है किया, जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया, आई जो मुझ पर कभी कोई आंच, उसको आप ने अपने सर है लिया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa.. ©शर्मा निखिल

#कविता #पापा #foryoupapa  #पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया, 
आप को पाकर लगता है ऐसा, 
आपके रूप में प्रभु को है पाया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा, 
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa.
Papa mere papa..

धूप में मेरी छाया बने हो, 
मुसीबत में बने मेरा सहारा, 
आपका जो मिला मुझे साथ, 
निखिल फिर कभी नहीं हारा 

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa.. 

हर सपनों को मेरे पूरा है किया,
जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया,
आई जो मुझ पर कभी कोई आंच,
उसको आप ने अपने सर है लिया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa..

©शर्मा निखिल

#foryoupapa हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश

13 Love

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