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#trendingshorts #funnyrandom #ytshorts #woodart

बेचारा फौजी का 😱 😔#Facts2 #ytshorts #woodart #trendingshorts #Shorts #Facts #woodart#funnyrandom shorts how ridiculous ytshorts brights

72 View

#भावगति #प्रेम #yourquote #Viraaj  तेरी प्रतिच्छाया मेरी मनोभूमि में प्रतीति बनके स्तरण रहती, 
पार्थक्य-दशा सारूप्यता से, लग-प्रसंग की प्रतिप्रत्ति करती !

©Viraaj Sisodiya
#शामसातूढलता #धुँध_ए_बहर #yourquote #Viraaj  शाम सा तू ढलता

रात धुँध-ए-बहर की तरहा हर-दम बेमज़ा मेरी..... 
दिन दीगर ना इत्तिफ़ाक़ी से तेरा मुब्तदा चढ़ता,
 लगे तस्कीन अपनी तजल्ली के शबाब में 
अबदिय्यत ही मुझपे आसाईशें करता.... 
रज़ी सबात देता ये तराश "बुल्लेया", 
मैं हमेश्गी एक सवाब मुरीद-ओ-मुरशिद बनता.....

©Viraaj Sisodiya
#कारगिल_विजय_दिवस #सुरभी_लड्डा #kargil_vijay_diwas #फौजी #isurbhiladha #Soldier  White वो जन्म लेते है ,
अपनी जन्मभूमि पर मिट जाने के लिए ,
वह फ़ौजी है जनाब;
धर्म से ज़्यादा लोगों की रक्षा करना जानते है।।

रंगों में उन के तिरंगे की शान का लहूं दोंडता है,
हम जैसे लोगों की तरह २ दिन याद
 कर भुला देना दिन को,
यह नक़ाब खेल न कोई फ़ौजी खेलता है।।

वह फ़ौजी है जनाब,
अपनी जन्मभूमि के लिए;
न जाने कितनी बार गोलियां से; बे-खोफ़ ...!!
कफ़न ओढ़ने को तैयार हो ही जाता है।।

©I_surbhiladha
#मैं_मानुष #भावगति #yourquote #Viraaj  नितांत भावोद्गारी भर ले अपने मनोमय में, 
धारण करता जीवांत प्रतिरूपात;
कलाविद् वो हैं अपने कर्मों का, 
प्रारब्धा पर विचरता अनरस तो कभी शाद!

©Viraaj Sisodiya

मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो ©Viraaj Sisodiya

#काव्यसौंदर्य #अनुराग #आसक्ति #प्रेम #yourquote  मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो

बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का

बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो

तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो

©Viraaj Sisodiya
#trendingshorts #funnyrandom #ytshorts #woodart

बेचारा फौजी का 😱 😔#Facts2 #ytshorts #woodart #trendingshorts #Shorts #Facts #woodart#funnyrandom shorts how ridiculous ytshorts brights

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#भावगति #प्रेम #yourquote #Viraaj  तेरी प्रतिच्छाया मेरी मनोभूमि में प्रतीति बनके स्तरण रहती, 
पार्थक्य-दशा सारूप्यता से, लग-प्रसंग की प्रतिप्रत्ति करती !

©Viraaj Sisodiya
#शामसातूढलता #धुँध_ए_बहर #yourquote #Viraaj  शाम सा तू ढलता

रात धुँध-ए-बहर की तरहा हर-दम बेमज़ा मेरी..... 
दिन दीगर ना इत्तिफ़ाक़ी से तेरा मुब्तदा चढ़ता,
 लगे तस्कीन अपनी तजल्ली के शबाब में 
अबदिय्यत ही मुझपे आसाईशें करता.... 
रज़ी सबात देता ये तराश "बुल्लेया", 
मैं हमेश्गी एक सवाब मुरीद-ओ-मुरशिद बनता.....

©Viraaj Sisodiya
#कारगिल_विजय_दिवस #सुरभी_लड्डा #kargil_vijay_diwas #फौजी #isurbhiladha #Soldier  White वो जन्म लेते है ,
अपनी जन्मभूमि पर मिट जाने के लिए ,
वह फ़ौजी है जनाब;
धर्म से ज़्यादा लोगों की रक्षा करना जानते है।।

रंगों में उन के तिरंगे की शान का लहूं दोंडता है,
हम जैसे लोगों की तरह २ दिन याद
 कर भुला देना दिन को,
यह नक़ाब खेल न कोई फ़ौजी खेलता है।।

वह फ़ौजी है जनाब,
अपनी जन्मभूमि के लिए;
न जाने कितनी बार गोलियां से; बे-खोफ़ ...!!
कफ़न ओढ़ने को तैयार हो ही जाता है।।

©I_surbhiladha
#मैं_मानुष #भावगति #yourquote #Viraaj  नितांत भावोद्गारी भर ले अपने मनोमय में, 
धारण करता जीवांत प्रतिरूपात;
कलाविद् वो हैं अपने कर्मों का, 
प्रारब्धा पर विचरता अनरस तो कभी शाद!

©Viraaj Sisodiya

मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो ©Viraaj Sisodiya

#काव्यसौंदर्य #अनुराग #आसक्ति #प्रेम #yourquote  मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो

बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का

बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो

तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो

©Viraaj Sisodiya
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