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New गूंगा अंधा बहरा Status, Photo, Video

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White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएँगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l ©Prakash writer05

#मोटिवेशनल  White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, 
अब गोविंद ना आएंगे...l

छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जाएंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, 
अब गोविंद ना आएंगे...|

कब तक आस लगाओगी तुम, 
बिक़े हुए अखबारों से,

कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं

वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है

तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएँगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l

©Prakash writer05

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा

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गूंगा देख रहा रंगीन जहाँ पर बोल नही सकता है अपनमन का भेद किसी से खोल नहीं सकता है शब्द हृदय में घूम रहें है प्रकट करे वो कैसे दुनिया से संपर्क करे वो पशु पक्षी के जैसे आँसू टपकाये गर अपना समझें लोग दुःखी है होठों पर मुश्कान देखकर कहते लोग सुखी है बेखुद जीवन का सूनापान कोई नहीं भर सकता कोई नहीं मिलता हमराही गर जीवन में थकता ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #गूंगा  गूंगा

देख रहा रंगीन जहाँ पर
बोल नही सकता है
अपनमन का भेद किसी से
खोल नहीं सकता है

शब्द हृदय में घूम रहें है
प्रकट करे वो कैसे
दुनिया से संपर्क करे वो
पशु पक्षी के जैसे

आँसू टपकाये गर अपना
समझें लोग दुःखी है
होठों पर मुश्कान देखकर
कहते लोग सुखी है

बेखुद जीवन का सूनापान
कोई नहीं भर सकता
कोई नहीं मिलता हमराही
गर जीवन में थकता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#शायरी  White मेरी बंदगी पे इस कदर पहरा क्यूं है? सब जानकर भी रब्ब मेरा बहरा क्यूं है ? बड़े अजीब हैं हालात जाने इस शहर के क्यूं , फिजा में भी यहां का राज गहरा क्यूं है ? मेरी बंदगी पे ........ । निकल जाते कभी के हम वफा ने रोक रखा है , मेरा रुखसार इस उजड़े चमन में ठहरा क्यूं है ? मेरी बंदगी पे इस कदर ....?

©Ravi Ranjan Kumar Kausik
#Quotes

अंधा युग :धर्मवीर भारती

153 View

#लाचारी #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  लाचारी (दोहे)

नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन।
लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।।

लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर।
वश में तब कुछ हो नहीं, ये कैसा दस्तूर।।

आती है जब त्रासदी, होते सब लाचार।
कहती है कुदरत तभी, ये ही है आधार।।

विद्यालय अब श्रोत है, धन का ये आधार।
चिंता है माँ बाप की, धन से हैं लाचार।।

खतरनाक ये दौर है, नहीं बनो अनजान।
लाचारी को छोड़ कर, वीर बनो इंसान।।

पट्टी बाँधी आँख पर, अंधा है कानून।
लाचारी अब न्याय की, झूठ माँगता खून।।
.....................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी स

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White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएँगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l ©Prakash writer05

#मोटिवेशनल  White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, 
अब गोविंद ना आएंगे...l

छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जाएंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, 
अब गोविंद ना आएंगे...|

कब तक आस लगाओगी तुम, 
बिक़े हुए अखबारों से,

कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं

वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है

तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएँगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l

©Prakash writer05

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा

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गूंगा देख रहा रंगीन जहाँ पर बोल नही सकता है अपनमन का भेद किसी से खोल नहीं सकता है शब्द हृदय में घूम रहें है प्रकट करे वो कैसे दुनिया से संपर्क करे वो पशु पक्षी के जैसे आँसू टपकाये गर अपना समझें लोग दुःखी है होठों पर मुश्कान देखकर कहते लोग सुखी है बेखुद जीवन का सूनापान कोई नहीं भर सकता कोई नहीं मिलता हमराही गर जीवन में थकता ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #गूंगा  गूंगा

देख रहा रंगीन जहाँ पर
बोल नही सकता है
अपनमन का भेद किसी से
खोल नहीं सकता है

शब्द हृदय में घूम रहें है
प्रकट करे वो कैसे
दुनिया से संपर्क करे वो
पशु पक्षी के जैसे

आँसू टपकाये गर अपना
समझें लोग दुःखी है
होठों पर मुश्कान देखकर
कहते लोग सुखी है

बेखुद जीवन का सूनापान
कोई नहीं भर सकता
कोई नहीं मिलता हमराही
गर जीवन में थकता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#शायरी  White मेरी बंदगी पे इस कदर पहरा क्यूं है? सब जानकर भी रब्ब मेरा बहरा क्यूं है ? बड़े अजीब हैं हालात जाने इस शहर के क्यूं , फिजा में भी यहां का राज गहरा क्यूं है ? मेरी बंदगी पे ........ । निकल जाते कभी के हम वफा ने रोक रखा है , मेरा रुखसार इस उजड़े चमन में ठहरा क्यूं है ? मेरी बंदगी पे इस कदर ....?

©Ravi Ranjan Kumar Kausik
#Quotes

अंधा युग :धर्मवीर भारती

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#लाचारी #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  लाचारी (दोहे)

नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन।
लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।।

लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर।
वश में तब कुछ हो नहीं, ये कैसा दस्तूर।।

आती है जब त्रासदी, होते सब लाचार।
कहती है कुदरत तभी, ये ही है आधार।।

विद्यालय अब श्रोत है, धन का ये आधार।
चिंता है माँ बाप की, धन से हैं लाचार।।

खतरनाक ये दौर है, नहीं बनो अनजान।
लाचारी को छोड़ कर, वीर बनो इंसान।।

पट्टी बाँधी आँख पर, अंधा है कानून।
लाचारी अब न्याय की, झूठ माँगता खून।।
.....................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी स

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