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#चक्रव्युह #सर्वस्व #कोट्स #धोखे  हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी 
मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं।  
अनभिज्ञ मैं चक्रव्युह कि संरचना से 
छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।
गैरो के धोखे से नहीं आहत मेरा मन
हैं अपनो से विदीर्ण मेरा सर्वस्व

©Prerna Singh

हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं। अनभिज्ञ मैं #चक्रव्युह कि संरचना से छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।गैरो

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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

11 Love

पद का लालच,धन का लोभ। तन का दंभ,विलास और भोग। इनसे जीवन न पार पाएगा। सब मिट्टी में मिल जाएगा। जोड़ ले माया,मलिन मन काया। ईश्वर न तेरे हृदय में आया। हे मूढ़–मना, तेरा जीवन यूंही जाएगा। सब यही पड़ा रह जाएगा।। ©Rimpi chaube

#पड़ारहजाएगा☺️  पद का लालच,धन का लोभ।
तन का दंभ,विलास और भोग।
इनसे जीवन न पार पाएगा।
सब मिट्टी में मिल जाएगा।
जोड़ ले माया,मलिन मन काया।
ईश्वर न तेरे हृदय में आया।
हे मूढ़–मना,
तेरा जीवन यूंही जाएगा।
सब यही पड़ा रह जाएगा।।

©Rimpi chaube

#पड़ारहजाएगा☺️ पद का लालच,धन का लोभ। तन का दंभ,विलास और भोग। इनसे जीवन न पार पाएगा। सब मिट्टी में मिल जाएगा। जोड़ ले माया,मलिन मन काया। ईश्वर

12 Love

#विचार #Teacher

" कोटि का संबंध काया और कुटुंब से नहीं बल्कि कार्य और सोच से होता है." I'm a #Teacher 🙏🖊️🙏

81 View

 White जिंदगी झंड है बेटा घमंड नहीं करना किसी से कब टूट जवोगे पता ही नहीं चलेगा मेरे जैसा और ऐसा गिरा हुआ इंसान को उठाने क्या छूने तक भी नहीं आएगा कोई अगर जीना है तो  बेटा प्यार से जीना सीखो क्योंकि प्यार का ही रास्ता मजबूत होता है इस दुनियां में जाने के बाद भी लोग आपसे प्यार करते हैं आज से प्यार करना सीखो नफरत करना छोड़ दो सबसे

©Arun Mahra

जिंदगी सुधारो बेटा काम आयेगी

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#चक्रव्युह #सर्वस्व #कोट्स #धोखे  हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी 
मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं।  
अनभिज्ञ मैं चक्रव्युह कि संरचना से 
छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।
गैरो के धोखे से नहीं आहत मेरा मन
हैं अपनो से विदीर्ण मेरा सर्वस्व

©Prerna Singh

हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं। अनभिज्ञ मैं #चक्रव्युह कि संरचना से छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।गैरो

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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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पद का लालच,धन का लोभ। तन का दंभ,विलास और भोग। इनसे जीवन न पार पाएगा। सब मिट्टी में मिल जाएगा। जोड़ ले माया,मलिन मन काया। ईश्वर न तेरे हृदय में आया। हे मूढ़–मना, तेरा जीवन यूंही जाएगा। सब यही पड़ा रह जाएगा।। ©Rimpi chaube

#पड़ारहजाएगा☺️  पद का लालच,धन का लोभ।
तन का दंभ,विलास और भोग।
इनसे जीवन न पार पाएगा।
सब मिट्टी में मिल जाएगा।
जोड़ ले माया,मलिन मन काया।
ईश्वर न तेरे हृदय में आया।
हे मूढ़–मना,
तेरा जीवन यूंही जाएगा।
सब यही पड़ा रह जाएगा।।

©Rimpi chaube

#पड़ारहजाएगा☺️ पद का लालच,धन का लोभ। तन का दंभ,विलास और भोग। इनसे जीवन न पार पाएगा। सब मिट्टी में मिल जाएगा। जोड़ ले माया,मलिन मन काया। ईश्वर

12 Love

#विचार #Teacher

" कोटि का संबंध काया और कुटुंब से नहीं बल्कि कार्य और सोच से होता है." I'm a #Teacher 🙏🖊️🙏

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 White जिंदगी झंड है बेटा घमंड नहीं करना किसी से कब टूट जवोगे पता ही नहीं चलेगा मेरे जैसा और ऐसा गिरा हुआ इंसान को उठाने क्या छूने तक भी नहीं आएगा कोई अगर जीना है तो  बेटा प्यार से जीना सीखो क्योंकि प्यार का ही रास्ता मजबूत होता है इस दुनियां में जाने के बाद भी लोग आपसे प्यार करते हैं आज से प्यार करना सीखो नफरत करना छोड़ दो सबसे

©Arun Mahra

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