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#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #inspirdaily #RohanRoy  White हम झूठे, हमारी शान झूठी। 
धर्म हमारा झूठा, इल्जाम हमारी झूठी।
जो भ्रम हमने पाला है, 
अंधविश्वास का पर्दा डाला है। 
यह पहचान, हमारी झूठी है। 
जो जंग लगे विचारों में, 
क्यों हमने लगाया ताला है?

©Rohan Roy

हम झूठे, हमारी शान झूठी | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | in life quotes

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White यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं ,कि जिसे आप अपना समझते हैं। वह भी आपको अपना समझेगा। समय बदल चुका है ,लोगों को अपनों से ज्यादा गैरों पे भरोसा होता है । यह वक्त ऐसा आ गया है ,लोग अपनों को अपना कहने में कतराते हैं। गैरों को अपनों की पहचान दे कर लोगों के बीच परिचित करवाते हैं। ©Negi Girl Kammu

 White यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं ,कि जिसे आप अपना समझते हैं।
 वह भी आपको अपना समझेगा।

समय बदल चुका है ,लोगों को  अपनों से ज्यादा गैरों पे भरोसा होता है ।

यह वक्त ऐसा आ गया है ,लोग अपनों को अपना कहने में  कतराते हैं।

गैरों को अपनों की पहचान दे कर लोगों के बीच परिचित करवाते हैं।

©Negi Girl Kammu

झूठे रिश्ते

14 Love

White ग़ज़ल :- हसीनों के कातिल इशारों ने मारा  हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा  थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में  मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा  मुहब्बत में मुझपे चला जब मुकदमा  अदालत के झूठे गवाहों ने मारा  हुआ फिर अचम्भा पलट कर जो देखा  हमें तो हमारी वफ़ाओं ने मारा  मुक़द्दर पे अपने वो हैरान होगा जो पत्थर मुझे गुनहगारों ने मारा  बचेंगे कहाँ से ये आशिक जहाँ में  हमेशा इन्हें  बेवफ़ाओं ने मारा  गरीबों में चाहत सिसकती रहेगी  हसीनों के ऊँचे ख़यालों ने मारा  कहाँ हीर रांझा जनम फिर से लेंगे  उन्हें जबसे जग के रिवाज़ों ने मारा  नसीहत सभी दे रहें हैं प्रखर को  पता भी है खंज़र हज़ारों ने मारा  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
हसीनों के कातिल इशारों ने मारा 
हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा 
थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में 
मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा 
मुहब्बत में मुझपे चला जब मुकदमा 
अदालत के झूठे गवाहों ने मारा 
हुआ फिर अचम्भा पलट कर जो देखा 
हमें तो हमारी वफ़ाओं ने मारा 
मुक़द्दर पे अपने वो हैरान होगा
जो पत्थर मुझे गुनहगारों ने मारा 
बचेंगे कहाँ से ये आशिक जहाँ में 
हमेशा इन्हें  बेवफ़ाओं ने मारा 
गरीबों में चाहत सिसकती रहेगी 
हसीनों के ऊँचे ख़यालों ने मारा 
कहाँ हीर रांझा जनम फिर से लेंगे 
उन्हें जबसे जग के रिवाज़ों ने मारा 
नसीहत सभी दे रहें हैं प्रखर को 
पता भी है खंज़र हज़ारों ने मारा 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हसीनों के कातिल इशारों ने मारा  हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा  थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में  मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा  मुहब्ब

11 Love

White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं! आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था? भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना। जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . *और कहते है कि छुआछूत था।* *यह छुआछूत की बीमारी अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।* *जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।* *अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,* *बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,* *कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!* जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये.. देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं! *सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...* * एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*. ©भारद्वाज

#पुराने #love_shayari  White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना।
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।
. . . *और कहते है कि छुआछूत था।*
*यह छुआछूत की बीमारी  अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।*
*जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।*
*अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,*
*बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,*
*कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!*
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
*सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...*
* एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*.

©भारद्वाज

#love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर

11 Love

#कलमसत्यकी #शायरी #sad_dp  White बड़ा इस्तेमाल किया मेरा,
अपने फायदे के लिये,
अब कैसे बुलाओगे मुझे,
नही लौटूंगा अब,
किसी झूठे वायदे के लिये।
#कलमसत्यकी ✍️©️

©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#sad_dp बड़ा इस्तेमाल किया मेरा, अपने फायदे के लिये, अब कैसे बुलाओगे मुझे, नही लौटूंगा अब, किसी झूठे वायदे के लिये। #कलमसत्यकी ✍️©️ #Life #

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दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।। मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान । आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।। आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार । और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।। छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल । कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।। बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल । एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।। दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात । आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।। जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य । दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।। बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज । पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।। भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान । जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।। इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान । राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।। सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान । यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।। मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान । उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।। जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम । वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।। पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार । जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।। पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह । ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।। पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान । अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।। झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास । पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग ।
और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।।
जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग ।
आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।।
मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान ।
आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।।
आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार ।
और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।।
छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल ।
कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।।
बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल ।
एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।।
दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात ।
आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।।
जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य ।
दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।।
बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज ।
पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।।
भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान ।
जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।।
इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान ।
राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।।
सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान ।
यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।।
मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान ।
उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।।
जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम ।
वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।।
पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार ।
जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।।
पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह ।
ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।।
पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान ।
अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।।
झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास ।
पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करन

14 Love

#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #inspirdaily #RohanRoy  White हम झूठे, हमारी शान झूठी। 
धर्म हमारा झूठा, इल्जाम हमारी झूठी।
जो भ्रम हमने पाला है, 
अंधविश्वास का पर्दा डाला है। 
यह पहचान, हमारी झूठी है। 
जो जंग लगे विचारों में, 
क्यों हमने लगाया ताला है?

©Rohan Roy

हम झूठे, हमारी शान झूठी | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | in life quotes

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White यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं ,कि जिसे आप अपना समझते हैं। वह भी आपको अपना समझेगा। समय बदल चुका है ,लोगों को अपनों से ज्यादा गैरों पे भरोसा होता है । यह वक्त ऐसा आ गया है ,लोग अपनों को अपना कहने में कतराते हैं। गैरों को अपनों की पहचान दे कर लोगों के बीच परिचित करवाते हैं। ©Negi Girl Kammu

 White यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं ,कि जिसे आप अपना समझते हैं।
 वह भी आपको अपना समझेगा।

समय बदल चुका है ,लोगों को  अपनों से ज्यादा गैरों पे भरोसा होता है ।

यह वक्त ऐसा आ गया है ,लोग अपनों को अपना कहने में  कतराते हैं।

गैरों को अपनों की पहचान दे कर लोगों के बीच परिचित करवाते हैं।

©Negi Girl Kammu

झूठे रिश्ते

14 Love

White ग़ज़ल :- हसीनों के कातिल इशारों ने मारा  हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा  थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में  मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा  मुहब्बत में मुझपे चला जब मुकदमा  अदालत के झूठे गवाहों ने मारा  हुआ फिर अचम्भा पलट कर जो देखा  हमें तो हमारी वफ़ाओं ने मारा  मुक़द्दर पे अपने वो हैरान होगा जो पत्थर मुझे गुनहगारों ने मारा  बचेंगे कहाँ से ये आशिक जहाँ में  हमेशा इन्हें  बेवफ़ाओं ने मारा  गरीबों में चाहत सिसकती रहेगी  हसीनों के ऊँचे ख़यालों ने मारा  कहाँ हीर रांझा जनम फिर से लेंगे  उन्हें जबसे जग के रिवाज़ों ने मारा  नसीहत सभी दे रहें हैं प्रखर को  पता भी है खंज़र हज़ारों ने मारा  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
हसीनों के कातिल इशारों ने मारा 
हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा 
थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में 
मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा 
मुहब्बत में मुझपे चला जब मुकदमा 
अदालत के झूठे गवाहों ने मारा 
हुआ फिर अचम्भा पलट कर जो देखा 
हमें तो हमारी वफ़ाओं ने मारा 
मुक़द्दर पे अपने वो हैरान होगा
जो पत्थर मुझे गुनहगारों ने मारा 
बचेंगे कहाँ से ये आशिक जहाँ में 
हमेशा इन्हें  बेवफ़ाओं ने मारा 
गरीबों में चाहत सिसकती रहेगी 
हसीनों के ऊँचे ख़यालों ने मारा 
कहाँ हीर रांझा जनम फिर से लेंगे 
उन्हें जबसे जग के रिवाज़ों ने मारा 
नसीहत सभी दे रहें हैं प्रखर को 
पता भी है खंज़र हज़ारों ने मारा 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हसीनों के कातिल इशारों ने मारा  हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा  थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में  मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा  मुहब्ब

11 Love

White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं! आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था? भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना। जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . *और कहते है कि छुआछूत था।* *यह छुआछूत की बीमारी अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।* *जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।* *अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,* *बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,* *कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!* जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये.. देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं! *सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...* * एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*. ©भारद्वाज

#पुराने #love_shayari  White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना।
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।
. . . *और कहते है कि छुआछूत था।*
*यह छुआछूत की बीमारी  अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।*
*जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।*
*अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,*
*बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,*
*कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!*
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
*सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...*
* एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*.

©भारद्वाज

#love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर

11 Love

#कलमसत्यकी #शायरी #sad_dp  White बड़ा इस्तेमाल किया मेरा,
अपने फायदे के लिये,
अब कैसे बुलाओगे मुझे,
नही लौटूंगा अब,
किसी झूठे वायदे के लिये।
#कलमसत्यकी ✍️©️

©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#sad_dp बड़ा इस्तेमाल किया मेरा, अपने फायदे के लिये, अब कैसे बुलाओगे मुझे, नही लौटूंगा अब, किसी झूठे वायदे के लिये। #कलमसत्यकी ✍️©️ #Life #

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दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।। मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान । आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।। आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार । और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।। छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल । कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।। बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल । एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।। दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात । आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।। जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य । दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।। बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज । पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।। भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान । जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।। इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान । राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।। सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान । यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।। मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान । उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।। जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम । वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।। पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार । जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।। पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह । ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।। पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान । अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।। झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास । पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग ।
और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।।
जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग ।
आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।।
मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान ।
आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।।
आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार ।
और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।।
छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल ।
कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।।
बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल ।
एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।।
दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात ।
आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।।
जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य ।
दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।।
बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज ।
पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।।
भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान ।
जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।।
इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान ।
राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।।
सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान ।
यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।।
मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान ।
उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।।
जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम ।
वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।।
पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार ।
जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।।
पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह ।
ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।।
पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान ।
अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।।
झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास ।
पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करन

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