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#भावगति #प्रेम #yourquote #Viraaj  तेरी प्रतिच्छाया मेरी मनोभूमि में प्रतीति बनके स्तरण रहती, 
पार्थक्य-दशा सारूप्यता से, लग-प्रसंग की प्रतिप्रत्ति करती !

©Viraaj Sisodiya
#मरहमएसुकून #जराहतों #yourquote #Viraaj  दर्द चाहे कितना भी हो
 मेरी जराहतों पर 
तेरे पास आते ही मुझे 
मरहम-ए-सुकून सा मिलता है

©Viraaj Sisodiya
#शामसातूढलता #धुँध_ए_बहर #yourquote #Viraaj  शाम सा तू ढलता

रात धुँध-ए-बहर की तरहा हर-दम बेमज़ा मेरी..... 
दिन दीगर ना इत्तिफ़ाक़ी से तेरा मुब्तदा चढ़ता,
 लगे तस्कीन अपनी तजल्ली के शबाब में 
अबदिय्यत ही मुझपे आसाईशें करता.... 
रज़ी सबात देता ये तराश "बुल्लेया", 
मैं हमेश्गी एक सवाब मुरीद-ओ-मुरशिद बनता.....

©Viraaj Sisodiya
#मैं_मानुष #भावगति #yourquote #Viraaj  नितांत भावोद्गारी भर ले अपने मनोमय में, 
धारण करता जीवांत प्रतिरूपात;
कलाविद् वो हैं अपने कर्मों का, 
प्रारब्धा पर विचरता अनरस तो कभी शाद!

©Viraaj Sisodiya

White To some the moon looked lovely and to some the moon looked lonely... ©wild flower

#YourQuoteAndMine #yourquotebaba #yourquote #sad_dp  White To some the moon looked lovely
and to some the moon looked lonely...

©wild flower

मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो ©Viraaj Sisodiya

#काव्यसौंदर्य #अनुराग #आसक्ति #प्रेम #yourquote  मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो

बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का

बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो

तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो

©Viraaj Sisodiya
#भावगति #प्रेम #yourquote #Viraaj  तेरी प्रतिच्छाया मेरी मनोभूमि में प्रतीति बनके स्तरण रहती, 
पार्थक्य-दशा सारूप्यता से, लग-प्रसंग की प्रतिप्रत्ति करती !

©Viraaj Sisodiya
#मरहमएसुकून #जराहतों #yourquote #Viraaj  दर्द चाहे कितना भी हो
 मेरी जराहतों पर 
तेरे पास आते ही मुझे 
मरहम-ए-सुकून सा मिलता है

©Viraaj Sisodiya
#शामसातूढलता #धुँध_ए_बहर #yourquote #Viraaj  शाम सा तू ढलता

रात धुँध-ए-बहर की तरहा हर-दम बेमज़ा मेरी..... 
दिन दीगर ना इत्तिफ़ाक़ी से तेरा मुब्तदा चढ़ता,
 लगे तस्कीन अपनी तजल्ली के शबाब में 
अबदिय्यत ही मुझपे आसाईशें करता.... 
रज़ी सबात देता ये तराश "बुल्लेया", 
मैं हमेश्गी एक सवाब मुरीद-ओ-मुरशिद बनता.....

©Viraaj Sisodiya
#मैं_मानुष #भावगति #yourquote #Viraaj  नितांत भावोद्गारी भर ले अपने मनोमय में, 
धारण करता जीवांत प्रतिरूपात;
कलाविद् वो हैं अपने कर्मों का, 
प्रारब्धा पर विचरता अनरस तो कभी शाद!

©Viraaj Sisodiya

White To some the moon looked lovely and to some the moon looked lonely... ©wild flower

#YourQuoteAndMine #yourquotebaba #yourquote #sad_dp  White To some the moon looked lovely
and to some the moon looked lonely...

©wild flower

मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो ©Viraaj Sisodiya

#काव्यसौंदर्य #अनुराग #आसक्ति #प्रेम #yourquote  मेरा मन सम्मोह की चादर ओढ़े, चितवन लगाए मानो जैसे उसकी लज्जा की आसक्ति से बंधा हो

बस इतना ही सामर्थ्य रहा हम दोनों की अनुरक्ति का मेरी दीदा और उसकी हया के वात्सल्य की शक्ति का

बोधगम्यता के अथाह अवधारण की तुष्टि, तुम तुम नहीं मेरे काव्य सौंदर्य की कृतित्वता का एक प्रवीण मर्म हो

तुम्हीं में दत्तचित्त होकर शब्दों का अलंकरण करता हूं मेरी रचना विदित होती, हमारी आपसी तकरीर हुई हो

©Viraaj Sisodiya
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