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New पितृ पक्ष 2020 Status, Photo, Video

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White दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

11 Love

#बेजुबानशायर143 #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर #हरहरमहादेव #कविता95 #कविता  White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, 
वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।।

आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है 
गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है 

रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है 
एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, 

जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है
 जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, 
जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड 
इस समाज का ऐसा ना समझो कि,
भैरव बस नाम वो विनाश का ।

आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । 
बह रहे हैं गंगाधारी, 
नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, 
हिमालय की हवाओं में 

जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं 
छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।।

लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके
हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके,
 हर रहे हैं मां बनके, 
और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके ।

।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, 
जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, 
जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, 
महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।।

ॐ  हर हर महादेव ॐ

©बेजुबान शायर shivkumar

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी। " महान औरतें" तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है। लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है 4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है। फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है। आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है। देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है। देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं? हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है। झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है। इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है। ©Vijay Vidrohi

#जनावाज #equality #India #poem  White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा  
काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी।

" महान औरतें"
तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है
शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है।

लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है
4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है।

फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है
अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है।

आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है
शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है।

देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है
पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है।

देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं?
हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है।

झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है
पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है।

इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है
तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है।

©Vijay Vidrohi

क्रांति_कारी लोकतंत्र #जनावाज #2019 #2020 #poem #love #India #equality Nazim Ali (Shiblu) @inaya @SIDII SAFIYA RAFIQ @Qamar Abbas S

19 Love

#कवितावाचक #poetrycommunity #शायरी #विचार #femalerealvoice #tarukikalam25

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक खुदा का घर (मां-पापा) विधा शायरीनुमा भाव स्वरचित दिवस 👉२८जुलाई विश्व मातृ पितृ दिवस मां पापा हैं तो जीवन सम

225 View

#संस्कृतविचार #कवितावाचक #मोटिवेशनल #femalerealvoice #tarukikalam25 #indianwriter

हमारी वास्तविक आवाज स्वलिखित विचारानाम् गृहम् स्वरचित विचारों का आशियाना शीर्षक 👉एवं स्वकार्यं कुरुत हिन्दी अनुवाद 👉कर्म ऐसे करो हिन्दी अन

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White दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

11 Love

#बेजुबानशायर143 #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर #हरहरमहादेव #कविता95 #कविता  White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, 
वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।।

आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है 
गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है 

रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है 
एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, 

जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है
 जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, 
जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड 
इस समाज का ऐसा ना समझो कि,
भैरव बस नाम वो विनाश का ।

आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । 
बह रहे हैं गंगाधारी, 
नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, 
हिमालय की हवाओं में 

जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं 
छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।।

लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके
हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके,
 हर रहे हैं मां बनके, 
और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके ।

।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, 
जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, 
जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, 
महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।।

ॐ  हर हर महादेव ॐ

©बेजुबान शायर shivkumar

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

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White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी। " महान औरतें" तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है। लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है 4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है। फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है। आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है। देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है। देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं? हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है। झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है। इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है। ©Vijay Vidrohi

#जनावाज #equality #India #poem  White दोस्तों मैंने यह कविता तब लिखी थी जब NRC/CAAजैसा  
काला कानून देश में लाया गया था और दिल्ली में शाहीन बाग में बहुत बड़ा आंदोलन उसे खिलाफ चला था और जब शाहीन बाग में जो औरतें अपने आंदोलन में शामिल हो रही थी उनको गालियां गंदे गंदे शब्द बोले जा रहे थे तो उनके आंदोलनकारियों के सम्मान में यह कविता मैंने लिखी थी।

" महान औरतें"
तुम इनको औरत ना समझो क्रांति का आह्वान है
शाहीन बाग का नाम विश्व में संघर्ष की पहचान है।

लानत है उन पर जो करते औरत का अपमान है
4 महीने का बेटा मोहम्मद कर दिया मां ने कुर्बान है।

फूलन देवी बनकर नारी जब-जब भरती हुंकार है
अपने अत्याचारियों का करती फिर संहार है।

आज की नारी फूलन देवी बनने को तैयार है
शाहीन बाघ को देखकर अब कांपी ये सरकार है।

देशभक्ति का नाटक करते बनते चौकीदार है
पर्व है वह देश लूटने वाले वास्तव में गद्दार है।

देश बेचकर खा गए जो क्या आदर के हकदार हैं?
हिंदू मुस्लिम करने वाला धर्म का ठेकेदार है।

झूठे जुमले सुनकर जनता बहुत हुई परेशान है
पर जनता की यह सुने नहीं हुआ सत्ता का अभिमान है।

इस सत्ता को बदलना चाहता भारत का नौजवान है
तानाशाही नहीं सहेंगे करते ये आह्वान है।

©Vijay Vidrohi

क्रांति_कारी लोकतंत्र #जनावाज #2019 #2020 #poem #love #India #equality Nazim Ali (Shiblu) @inaya @SIDII SAFIYA RAFIQ @Qamar Abbas S

19 Love

#कवितावाचक #poetrycommunity #शायरी #विचार #femalerealvoice #tarukikalam25

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक खुदा का घर (मां-पापा) विधा शायरीनुमा भाव स्वरचित दिवस 👉२८जुलाई विश्व मातृ पितृ दिवस मां पापा हैं तो जीवन सम

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#संस्कृतविचार #कवितावाचक #मोटिवेशनल #femalerealvoice #tarukikalam25 #indianwriter

हमारी वास्तविक आवाज स्वलिखित विचारानाम् गृहम् स्वरचित विचारों का आशियाना शीर्षक 👉एवं स्वकार्यं कुरुत हिन्दी अनुवाद 👉कर्म ऐसे करो हिन्दी अन

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