tags

New 18 midnight lucy Status, Photo, Video

Find the latest Status about 18 midnight lucy from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about 18 midnight lucy.

  • Latest
  • Popular
  • Video

part 18

90 View

White हम किसी भी रिश्ते में 'जबरदस्ती' तब तक बने रहते हैं जब तक..... लिहाज़ होता है...सहनशक्ति होती है डर होता है....insecurity होती है निर्भरता होती है या कुछ बचे हुए एहसास होते हैं फिर भले ही हम टूटते रहें, बिखरते रहें या परेशान रहें क्योंकि हम खुद से ज्यादा अपने आस पास और जुड़े लोगों की परवाह करते हैं लेकिन यकीन मानो जब थोड़ी हिम्मत करके बाहर निकलते हैं तो ही असल में अपने लिए सोचना शुरू करते हैं "जीना सीखते हैं" ❤ ©Nirmala Pant

#selflove  White हम किसी भी रिश्ते में 'जबरदस्ती'
तब तक बने रहते हैं
जब तक..... 
लिहाज़ होता है...सहनशक्ति होती है
डर होता है....insecurity होती है
निर्भरता होती है
या कुछ बचे हुए एहसास होते हैं
फिर भले ही हम टूटते रहें, 
बिखरते रहें या परेशान रहें
क्योंकि हम खुद से ज्यादा अपने आस पास
और जुड़े लोगों की परवाह करते हैं
लेकिन यकीन मानो जब थोड़ी हिम्मत करके बाहर निकलते हैं
तो ही असल में अपने लिए सोचना शुरू करते हैं
"जीना सीखते हैं" ❤

©Nirmala Pant

#selflove 18/9

15 Love

#Quotes  हवस के शिकारी 
तन ही नहीं मन भी नोच लेते हैं

©MमtA Maया

18/08/2024

99 View

#Yadein  lamhe aur yadein.....

©Nirmala Pant

#Yadein 18/8

90 View

पकड़कर हथेली उसने जबा से लगाई, जबां से लगाकर जो कलाकारी दिखाई. कभी जबां को लगाती वो गाल पे मेरे, कभी नाखूनों से खिचती खाल को मेरे. अपने दांतो से पकड़ती वो कान को मेरे। होठों से चुप कराती जुबाँ को मेरे, कभी उपर तो कभी नीचे जा रही थी वो, कतरा कतरा करके मुझको खा रही थी वो की उसके कानों को चुमके मैं भी सब बताने लगा , क्या क्या भरा है मुझमे सबकुछ दिखाने लगा। कभी माथे से लेकर पैरो तक उसमे सैर करता, कभी कंधे पर अपने उसके दोनो पैर करता। फिर एक दूसरे को धीरे धीरे खा रहे थे हम, और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम। और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम।। ©Vijay Sonwane

#लव  पकड़कर हथेली उसने जबा से लगाई, 
जबां से लगाकर जो कलाकारी दिखाई. 
कभी जबां को लगाती वो गाल पे मेरे, 
कभी नाखूनों से खिचती खाल को मेरे. 
अपने दांतो से पकड़ती वो कान को मेरे। 
होठों से चुप कराती जुबाँ को मेरे, 
कभी उपर तो कभी नीचे जा रही थी वो, 
कतरा कतरा करके मुझको खा रही थी वो
की उसके कानों को चुमके मैं भी सब बताने लगा , 
क्या क्या भरा है मुझमे सबकुछ दिखाने लगा। 
कभी माथे से लेकर पैरो तक उसमे सैर करता, 
कभी कंधे पर अपने उसके दोनो पैर करता। 
फिर एक दूसरे को धीरे धीरे खा रहे थे हम, 
और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम। 
और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम।।

©Vijay Sonwane

18+

10 Love

vk 18

99 View

part 18

90 View

White हम किसी भी रिश्ते में 'जबरदस्ती' तब तक बने रहते हैं जब तक..... लिहाज़ होता है...सहनशक्ति होती है डर होता है....insecurity होती है निर्भरता होती है या कुछ बचे हुए एहसास होते हैं फिर भले ही हम टूटते रहें, बिखरते रहें या परेशान रहें क्योंकि हम खुद से ज्यादा अपने आस पास और जुड़े लोगों की परवाह करते हैं लेकिन यकीन मानो जब थोड़ी हिम्मत करके बाहर निकलते हैं तो ही असल में अपने लिए सोचना शुरू करते हैं "जीना सीखते हैं" ❤ ©Nirmala Pant

#selflove  White हम किसी भी रिश्ते में 'जबरदस्ती'
तब तक बने रहते हैं
जब तक..... 
लिहाज़ होता है...सहनशक्ति होती है
डर होता है....insecurity होती है
निर्भरता होती है
या कुछ बचे हुए एहसास होते हैं
फिर भले ही हम टूटते रहें, 
बिखरते रहें या परेशान रहें
क्योंकि हम खुद से ज्यादा अपने आस पास
और जुड़े लोगों की परवाह करते हैं
लेकिन यकीन मानो जब थोड़ी हिम्मत करके बाहर निकलते हैं
तो ही असल में अपने लिए सोचना शुरू करते हैं
"जीना सीखते हैं" ❤

©Nirmala Pant

#selflove 18/9

15 Love

#Quotes  हवस के शिकारी 
तन ही नहीं मन भी नोच लेते हैं

©MमtA Maया

18/08/2024

99 View

#Yadein  lamhe aur yadein.....

©Nirmala Pant

#Yadein 18/8

90 View

पकड़कर हथेली उसने जबा से लगाई, जबां से लगाकर जो कलाकारी दिखाई. कभी जबां को लगाती वो गाल पे मेरे, कभी नाखूनों से खिचती खाल को मेरे. अपने दांतो से पकड़ती वो कान को मेरे। होठों से चुप कराती जुबाँ को मेरे, कभी उपर तो कभी नीचे जा रही थी वो, कतरा कतरा करके मुझको खा रही थी वो की उसके कानों को चुमके मैं भी सब बताने लगा , क्या क्या भरा है मुझमे सबकुछ दिखाने लगा। कभी माथे से लेकर पैरो तक उसमे सैर करता, कभी कंधे पर अपने उसके दोनो पैर करता। फिर एक दूसरे को धीरे धीरे खा रहे थे हम, और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम। और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम।। ©Vijay Sonwane

#लव  पकड़कर हथेली उसने जबा से लगाई, 
जबां से लगाकर जो कलाकारी दिखाई. 
कभी जबां को लगाती वो गाल पे मेरे, 
कभी नाखूनों से खिचती खाल को मेरे. 
अपने दांतो से पकड़ती वो कान को मेरे। 
होठों से चुप कराती जुबाँ को मेरे, 
कभी उपर तो कभी नीचे जा रही थी वो, 
कतरा कतरा करके मुझको खा रही थी वो
की उसके कानों को चुमके मैं भी सब बताने लगा , 
क्या क्या भरा है मुझमे सबकुछ दिखाने लगा। 
कभी माथे से लेकर पैरो तक उसमे सैर करता, 
कभी कंधे पर अपने उसके दोनो पैर करता। 
फिर एक दूसरे को धीरे धीरे खा रहे थे हम, 
और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम। 
और सर्दी के मौसम मे पसीने से नहा रहे थे हम।।

©Vijay Sonwane

18+

10 Love

vk 18

99 View

Trending Topic