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#Trending #thought #Broken #Hindi

मैं कुछ बातें तुम्हें मेरे मरने के बाद बतलाऊँगा...🥲 . . . . . #SAD #Love #viral #Nojoto #Trending #Hindi #Broken #poem #thought sad

162 View

#Prophecy_About_SantRampalJi #Motivational

#Prophecy_About_SantRampalJi “मैं छाती ठोककर कहता हूं कि वह महापुरुष ऐसा ज्ञान बतलायेगा, जो आज से पहले किसी ने भी न सुना होगा, उसके ज्ञान को

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White अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या? बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या? पर मसला है ये की जुबान साथ नही देगी मेरी, तुम मेरी खामोशी समझ पाओगे क्या? ठीक हूं पूरी दुनिया को बतलाती हुं, तुम मेरे ये गुमनाम आंसू देख पाओगे क्या? सपने और अपने सब को खोकर बैठी हुं, तुम मेरा सब कुछ बन पाओगे क्या? चलो छोड़ो , में भी क्या पागल हूं, तुम बस इतना बताओ, अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?❤️‍🩹 ©BROKENBOY

#good_night  White अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?
बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या?
पर मसला है ये की जुबान साथ नही देगी मेरी,
तुम मेरी खामोशी समझ पाओगे क्या?
ठीक हूं पूरी दुनिया को बतलाती हुं, 
तुम मेरे ये गुमनाम आंसू देख पाओगे क्या?
सपने और अपने सब को खोकर बैठी हुं,
तुम मेरा सब कुछ बन पाओगे क्या?
चलो छोड़ो , में भी क्या पागल हूं, तुम बस इतना बताओ,
अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?❤️‍🩹

©BROKENBOY

#good_night अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या? बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या? पर मसला है ये की जुबान साथ नही द

12 Love

#संस्कृतविचार #कवितावाचक #विचार #femalerealvoice #trendingreels #indianwriter

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक जरा वा दुर्कालः विधा स्वरचित सुविचार भाषा शैली संस्कृत हिन्दी अनुवाद सहित भाव समाजिक संसार ये सारा सुन्दरत

189 View

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

दोहा :- हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर । छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।। थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास । इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।। इक हिंसक के सामने , जो फैलाते हाथ । हिंसक अब जाओ समझ , देना कभी न साथ ।। हिंदू हिंसक हो गया , रहना बचकर आप । उसके चलने की नही , आती है पद चाप ।। भोले जी तो शांत है, काली है विकराल । बचकर रहना इस धरा , तू नन्हा सा लाल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-

हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर ।
छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।।

थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास ।
इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।।

इक हिंसक के सामने , जो फैलाते हाथ ।
हिंसक अब जाओ समझ , देना कभी न साथ ।।

हिंदू हिंसक हो गया , रहना बचकर आप ।
उसके चलने की नही , आती है पद चाप ।।

भोले जी तो शांत है, काली है विकराल ।
बचकर रहना इस धरा , तू नन्हा सा लाल ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर । छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।। थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास । इक हिंसक से आप अब , र

15 Love

#Trending #thought #Broken #Hindi

मैं कुछ बातें तुम्हें मेरे मरने के बाद बतलाऊँगा...🥲 . . . . . #SAD #Love #viral #Nojoto #Trending #Hindi #Broken #poem #thought sad

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#Prophecy_About_SantRampalJi #Motivational

#Prophecy_About_SantRampalJi “मैं छाती ठोककर कहता हूं कि वह महापुरुष ऐसा ज्ञान बतलायेगा, जो आज से पहले किसी ने भी न सुना होगा, उसके ज्ञान को

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White अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या? बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या? पर मसला है ये की जुबान साथ नही देगी मेरी, तुम मेरी खामोशी समझ पाओगे क्या? ठीक हूं पूरी दुनिया को बतलाती हुं, तुम मेरे ये गुमनाम आंसू देख पाओगे क्या? सपने और अपने सब को खोकर बैठी हुं, तुम मेरा सब कुछ बन पाओगे क्या? चलो छोड़ो , में भी क्या पागल हूं, तुम बस इतना बताओ, अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?❤️‍🩹 ©BROKENBOY

#good_night  White अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?
बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या?
पर मसला है ये की जुबान साथ नही देगी मेरी,
तुम मेरी खामोशी समझ पाओगे क्या?
ठीक हूं पूरी दुनिया को बतलाती हुं, 
तुम मेरे ये गुमनाम आंसू देख पाओगे क्या?
सपने और अपने सब को खोकर बैठी हुं,
तुम मेरा सब कुछ बन पाओगे क्या?
चलो छोड़ो , में भी क्या पागल हूं, तुम बस इतना बताओ,
अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या?❤️‍🩹

©BROKENBOY

#good_night अब आए ही हो जो लौट कर, फिर से जाओगे क्या? बहुत सी बातें करनी है तुमसे, तुम भी कुछ सुनाओगे क्या? पर मसला है ये की जुबान साथ नही द

12 Love

#संस्कृतविचार #कवितावाचक #विचार #femalerealvoice #trendingreels #indianwriter

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक जरा वा दुर्कालः विधा स्वरचित सुविचार भाषा शैली संस्कृत हिन्दी अनुवाद सहित भाव समाजिक संसार ये सारा सुन्दरत

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गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर.... पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद । कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।। मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल । पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात । हरे-भरे खेतो की हलधर..... सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब । जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।। हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख । तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत । हरे-भरे खेतों की हलधर..... इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द । लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।। फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।। हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।।
हरे-भरे खेतो की हलधर....

पत्ते-पत्ते पर है ठहरी , बारिश की हर बूँद ।
कर उनका एहसास कभी तू , अपनी आँखें मूँद ।।
मोती जैसे ही लगते हैं , चाहे पेड़ बबूल ।
पर इनके भी दिन ढलते हैं , आती है फिर रात ।
हरे-भरे खेतो की हलधर.....

सुनो प्रकृति के जैसा जीवन , होता कहाँ नसीब ।
जिनको भी मिलता है जीवन , कहते हमीं गरीब ।।
हमने देखा नित्य प्रकृति ही, देती सबको सीख ।
तब ही मानव जीवन की सुन , हो सुंदर शुरुआत ।
हरे-भरे खेतों की हलधर.....

इनके भी हो घाव हरे सुन , होता इनमें दर्द ।
लेकिन देने वाला ही अब, कहता खुद को मर्द ।।
फिर भी खूब हँसातें सबको , रखकर हृदय विशाल
पूर्ण जरूरत सबकी करता , पाकर जग से घात ।।

हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात ।
मन को लेते मोह सभी के , जब आती बरसात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- हरे-भरे खेतों की हलधर , बतलाता है बात । मन को लेता मोह सभी के , जब आती बरसात ।। हरे-भरे खेतो की हलधर....

17 Love

दोहा :- हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर । छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।। थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास । इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।। इक हिंसक के सामने , जो फैलाते हाथ । हिंसक अब जाओ समझ , देना कभी न साथ ।। हिंदू हिंसक हो गया , रहना बचकर आप । उसके चलने की नही , आती है पद चाप ।। भोले जी तो शांत है, काली है विकराल । बचकर रहना इस धरा , तू नन्हा सा लाल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-

हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर ।
छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।।

थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास ।
इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।।

इक हिंसक के सामने , जो फैलाते हाथ ।
हिंसक अब जाओ समझ , देना कभी न साथ ।।

हिंदू हिंसक हो गया , रहना बचकर आप ।
उसके चलने की नही , आती है पद चाप ।।

भोले जी तो शांत है, काली है विकराल ।
बचकर रहना इस धरा , तू नन्हा सा लाल ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर । छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।। थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास । इक हिंसक से आप अब , र

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