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New कविता के तत्व Status, Photo, Video

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White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

7 Love

 "कबीर दास"🚩🙏

#ReasonICried कबीर के पद #हिन्दी #कबीर #Hindi #poem #poetry #kavita #कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं

117 View

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

तत्वन के तत्व जग जीवन श्री कृष्ण चंद्र और...... कृष्ण को हूं तत्व वृषभानु की किशोरी है। ©Heer

#तत्वन  तत्वन के तत्व 

जग जीवन श्री कृष्ण चंद्र 
और......
कृष्ण को हूं तत्व 
वृषभानु की किशोरी है।

©Heer

#तत्वन के तत्व poetry in hindi

16 Love

#कविता

🍁एक चांद के दीदार का,था वादा साथ में👩‍❤️‍👨 कविताएं बारिश पर कविता कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता

117 View

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..। चुप मत बैठो आज द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो। बहुत हुआ सदियों से रोना, धैर्य नहीं अपना खोना। चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना। रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो। रोना धोना छोड़ो देवी, अधर्मियों पर प्रहार करो। उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................। इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए। दुष्टों से पीड़ित मां बेटी , सब और कहां पर जाए। कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते। लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी को नोचे दलते। देख रही वहशी दुनिया को , है उनसे तकरार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा। घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह बांधे पकड़ा देख रहे नारी को अस्मत , मर्दित बहुतेरे जग में। छोड़ो शर्म हया मत गाओ , वनिता मादक नग में। भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन। घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना। आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष जग में जीना। आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो। विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच केश दुश्शासन ने। सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से। मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई। कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा हीन हुई। जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो। ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा पहुंचाते मन को। नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है तन को। अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी। वदन ढांक अपने वसनों से, पार हुई जग हद सारी। लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो। जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,। सर्वाधिकार सुरक्षित के एल महोबिया ✍️ 🙏 ©K L MAHOBIA

 उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..।
चुप मत बैठो आज  द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। 
काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो।
बहुत हुआ सदियों से रोना,  धैर्य नहीं अपना खोना।
चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना।
रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो।
रोना  धोना  छोड़ो देवी,  अधर्मियों पर  प्रहार  करो।
उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................।

इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए।
दुष्टों से  पीड़ित मां बेटी ,   सब और  कहां पर जाए।
कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते।
लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी   को   नोचे  दलते।
देख रही वहशी दुनिया को , है  उनसे तकरार  करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा।
घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह  बांधे पकड़ा 
देख रहे नारी को अस्मत ,  मर्दित बहुतेरे  जग  में।
छोड़ो शर्म हया  मत  गाओ , वनिता मादक नग में।
भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। 
अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन।
घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना।
आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष  जग में जीना।
आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो।
विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच  केश  दुश्शासन ने।
सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से।
मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई।
कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा  हीन  हुई।
जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो।
ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा  पहुंचाते  मन  को।
नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है  तन को।
अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी।
वदन ढांक अपने वसनों से, पार  हुई  जग हद सारी।
लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो।
जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,।
     सर्वाधिकार सुरक्षित 
   के एल महोबिया ✍️ 🙏

©K L MAHOBIA

#कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

16 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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#ReasonICried कबीर के पद #हिन्दी #कबीर #Hindi #poem #poetry #kavita #कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं

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 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

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तत्वन के तत्व जग जीवन श्री कृष्ण चंद्र और...... कृष्ण को हूं तत्व वृषभानु की किशोरी है। ©Heer

#तत्वन  तत्वन के तत्व 

जग जीवन श्री कृष्ण चंद्र 
और......
कृष्ण को हूं तत्व 
वृषभानु की किशोरी है।

©Heer

#तत्वन के तत्व poetry in hindi

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#कविता

🍁एक चांद के दीदार का,था वादा साथ में👩‍❤️‍👨 कविताएं बारिश पर कविता कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता

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उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..। चुप मत बैठो आज द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो। बहुत हुआ सदियों से रोना, धैर्य नहीं अपना खोना। चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना। रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो। रोना धोना छोड़ो देवी, अधर्मियों पर प्रहार करो। उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................। इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए। दुष्टों से पीड़ित मां बेटी , सब और कहां पर जाए। कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते। लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी को नोचे दलते। देख रही वहशी दुनिया को , है उनसे तकरार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा। घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह बांधे पकड़ा देख रहे नारी को अस्मत , मर्दित बहुतेरे जग में। छोड़ो शर्म हया मत गाओ , वनिता मादक नग में। भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन। घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना। आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष जग में जीना। आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो। विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच केश दुश्शासन ने। सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से। मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई। कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा हीन हुई। जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो। ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा पहुंचाते मन को। नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है तन को। अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी। वदन ढांक अपने वसनों से, पार हुई जग हद सारी। लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो। जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,। सर्वाधिकार सुरक्षित के एल महोबिया ✍️ 🙏 ©K L MAHOBIA

 उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..।
चुप मत बैठो आज  द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। 
काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो।
बहुत हुआ सदियों से रोना,  धैर्य नहीं अपना खोना।
चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना।
रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो।
रोना  धोना  छोड़ो देवी,  अधर्मियों पर  प्रहार  करो।
उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................।

इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए।
दुष्टों से  पीड़ित मां बेटी ,   सब और  कहां पर जाए।
कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते।
लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी   को   नोचे  दलते।
देख रही वहशी दुनिया को , है  उनसे तकरार  करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा।
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देख रहे नारी को अस्मत ,  मर्दित बहुतेरे  जग  में।
छोड़ो शर्म हया  मत  गाओ , वनिता मादक नग में।
भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

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अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन।
घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना।
आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष  जग में जीना।
आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो।
विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच  केश  दुश्शासन ने।
सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से।
मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई।
कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा  हीन  हुई।
जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो।
ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा  पहुंचाते  मन  को।
नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है  तन को।
अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी।
वदन ढांक अपने वसनों से, पार  हुई  जग हद सारी।
लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो।
जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,।
     सर्वाधिकार सुरक्षित 
   के एल महोबिया ✍️ 🙏

©K L MAHOBIA

#कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

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