दिल में जो कुछ भी है उसे आंखों से निकलने दो। गंगा की चाह है न? हिमालय को पिघलने दो। अच्छा ! वो गिरा हुआ है क्या ? जो आसमां मे नहीं। आसमां के चाहत में मगर धरा को.
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