Cousins Day
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Laughing makes everything is easier, funnier and happier. Especially when you do it with bestfriends. ©Sush Gowda

#Quotes #Friend  Laughing makes everything is 
easier, funnier and happier. 
Especially when you do it with bestfriends.

©Sush Gowda

#Friend

9 Love

#Quotes  స్నేహమైనా, ప్రేమైనా ధృడంగా ఉండాలంటే ఒక వైపు నుంచి ప్రయత్నిస్తే సాధ్యం కాదు.. బంధం అనేది టీం వర్క్

©gopi kiran

స్నేహమైనా, ప్రేమైనా ధృడంగా ఉండాలంటే ఒక వైపు నుంచి ప్రయత్నిస్తే సాధ్యం కాదు.. బంధం అనేది టీం వర్క్ ©gopi kiran

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Yeh Rishte Hum BhulJaye Hum Apno Ke Humsaaye Yeh Apne Apno Se Rishte Yeh Rishte Hume Humare Dil-O-Jaan Se Hume Pyaare Yeh Apne Apno Se Rishte Yeh Mera Tumhara Yeh Aangan Yahaan Rehta Hai Bachpan Tum Ho Is Dil Ki Dadhkan Yeh Rishto Ke Dhaage Hum Jood Na Paaye Yeh Jo Humne Nibhaye Hum Yeh Rishte BhulJaaye Yeh Rishte Woh Rishte Yeh Tumhara Aangan Hai Rehta Tumhara Bachpan Hai Yeh Mat Kahon Kahaan Hai Mera Angan Yeh Rishte Woh Rishte Yeh Apne Apno Se Paraye "zubair" Yeh Rishte Samjh Main Na Aaye Yeh Kaisa Hai Apnapan Yeh Kaisa Hai Apno Ka Angan Zubair khan ©SZUBAIR KHAN KHAN

#शायरी #cousinsday  Yeh Rishte Hum BhulJaye
Hum Apno Ke Humsaaye
Yeh Apne Apno Se Rishte 

Yeh Rishte Hume Humare
Dil-O-Jaan Se Hume Pyaare
Yeh Apne Apno Se Rishte

Yeh Mera Tumhara Yeh  Aangan
Yahaan Rehta Hai  Bachpan
Tum Ho Is Dil Ki Dadhkan

Yeh Rishto Ke Dhaage
Hum Jood Na Paaye
Yeh Jo Humne Nibhaye
Hum Yeh Rishte BhulJaaye
Yeh Rishte Woh Rishte

Yeh Tumhara Aangan Hai
Rehta Tumhara Bachpan Hai
Yeh Mat Kahon Kahaan Hai
Mera Angan

Yeh Rishte Woh Rishte
Yeh Apne Apno Se Paraye
"zubair" Yeh Rishte Samjh Main Na Aaye
Yeh Kaisa Hai Apnapan
Yeh Kaisa Hai Apno Ka Angan

Zubair khan

©SZUBAIR KHAN KHAN

#cousinsday

14 Love

#शायरी #Quietly #people #Heart #again #quiet  इतना  मत  बोलिए  कि  लोग ,
आपके चुप होने का इंतजार करे !
बल्कि  इतना  बोलकर  चुप ,
हो  जाइये  कि,  लोग  आपको 
दुबारा  सुनने  का  इंतजार  करें !

©R.S.Meghwal

किसी भी परिणाम तक पहुंचने में आपकी " पहल " मायने रखती है अक्सर, बड़ी इमारतों की मजबूती नींव की " पहली ईंट " ही रखती है..!! ©नि:शब्द अमित शर्मा

#विचार #cousinsday  किसी भी परिणाम तक पहुंचने में
आपकी " पहल " मायने रखती है 

अक्सर, बड़ी इमारतों की मजबूती 
नींव की " पहली ईंट " ही रखती है..!!

©नि:शब्द अमित शर्मा

#cousinsday

16 Love

कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार, कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार। क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक, और साथ बिताये वो दिन और रात। कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना, क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात। अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी, मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी। आखिर बड़े होने का सपना जो था, बचपन मे तो हर कोई अपना था। अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है, सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है। मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है, सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है। बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से, मतलब के लिये की गई यारी से। आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है, क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है। मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो, कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो। (चाहत) ©Chahat Kushwah

#विचार  कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार,
कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार।
क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक,
और साथ बिताये वो दिन और रात।
कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना,
क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात।
अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी,
मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी।
आखिर बड़े होने का सपना जो था,
बचपन मे तो हर कोई अपना था।
अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है,
सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है।
मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है,
सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है।
बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से,
मतलब के लिये की गई यारी से।
आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है,
क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है।
मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो,
कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो।
(चाहत)

©Chahat Kushwah

कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार, कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार। क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक, और साथ बिताये वो दिन और रात। कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना, क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात। अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी, मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी। आखिर बड़े होने का सपना जो था, बचपन मे तो हर कोई अपना था। अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है, सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है। मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है, सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है। बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से, मतलब के लिये की गई यारी से। आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है, क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है। मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो, कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो। (चाहत) ©Chahat Kushwah

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