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#election  हे राम दुबारा मत आना 
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।

सौ करोड़ इन मुर्दों में 
अब बची किसी में जान नहीं।।

भाईचारे के चक्कर में,
बहनों कि इज्जत का भान नहीं।।

इतिहास थक गया रो-रोकर,
अब भगवा का अभिमान नहीं।।

याद इन्हें बस अकबर है,
उस राणा का बलिदान नही।।

हल्दीघाटी सुनसान हुई,
अब चेतक का तूफान नही।।

हिन्दू भी होने लगे दफन,
अब जलने को शमसान नहीं।।

विदेशी धरम ही सबकुछ है,
सनातन का सम्मान नही।।

हिन्दू बँट गया जातियों में,
अब होगा यूँ कल्याण नहीं।।

सुअरों और भेड़ियों की,
आबादी का अनुमान नहीं।।

खतरे में हैं सिंह सावक,
इसका उनको कुछ ध्यान नहीं।।

चहुँ ओर सनातन लज्जित है,
कुछ मिलता है परिणाम नहीं।।

वीर शिवा की कूटनीति,
और राणा का अभिमान नही।।

जो चुना दिया दीवारों में,
 गुरु पुत्रों का सम्मान नही।।

हे राम दुबारा मत आना,
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।
 संदर्भ - up election

©poet-Akash kumar

हे राम दुबारा मत आना अब यहाँ लखन हनुमान नही।। सौ करोड़ इन मुर्दों में अब बची किसी में जान नहीं।। भाईचारे के चक्कर में, बहनों कि इज्जत का भान नहीं।। इतिहास थक गया रो-रोकर, अब भगवा का अभिमान नहीं।। याद इन्हें बस अकबर है, उस राणा का बलिदान नही।। हल्दीघाटी सुनसान हुई, अब चेतक का तूफान नही।। हिन्दू भी होने लगे दफन, अब जलने को शमसान नहीं।। विदेशी धरम ही सबकुछ है, सनातन का सम्मान नही।। हिन्दू बँट गया जातियों में, अब होगा यूँ कल्याण नहीं।। सुअरों और भेड़ियों की, आबादी का अनुमान नहीं।। खतरे में हैं सिंह सावक, इसका उनको कुछ ध्यान नहीं।। चहुँ ओर सनातन लज्जित है, कुछ मिलता है परिणाम नहीं।। वीर शिवा की कूटनीति, और राणा का अभिमान नही।। जो चुना दिया दीवारों में, गुरु पुत्रों का सम्मान नही।। हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही।। संदर्भ - up election ©poet-Akash kumar

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#भक्ति  कर्ज दशरथ के वचन 

का यूँ चुकाया राम ने 

सर झुकाया और खुशी

 से राजधानी छोड़ दी

©प्रथमेश

कर्ज दशरथ के वचन का यूँ चुकाया राम ने सर झुकाया और खुशी से राजधानी छोड़ दी ©प्रथमेश

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#शायरी  किसी के लिये राम

 मात्र 'कल्पना' है

किसी के लिये कल्पनाओं 

का अर्थ ही "राम" हैं..

जय श्री राम 🙏

©प्रथमेश

किसी के लिये राम मात्र 'कल्पना' है किसी के लिये कल्पनाओं का अर्थ ही "राम" हैं.. जय श्री राम 🙏 ©प्रथमेश

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राम जी सा प्यार हो पांडवों जैसा विचार हो नारी मांगे तो स्वर्ण हिरण ....लाने चले जाए सम्मान पर आंच आए तो महाभारत के लिए तैयार हो रावण के अनेकों अत्याचार हो पर अपने प्रेम की रक्षा के लिए शत्रुओं का संहार हो नारीत्व भी ऐसा जिसमे अग्नि परीक्षा भी स्वीकार हो त्याग व समर्पण......ही जीवन में प्रेम का सबसे बड़ा आधार हो गौत्तम ©Dheeraj Gauttam

#कविता  राम जी सा प्यार हो
पांडवों जैसा विचार हो
नारी मांगे तो स्वर्ण हिरण ....लाने चले जाए
सम्मान पर आंच आए तो महाभारत के लिए तैयार हो
रावण के अनेकों अत्याचार हो पर
अपने प्रेम की रक्षा के लिए शत्रुओं का संहार हो
नारीत्व भी ऐसा जिसमे अग्नि परीक्षा भी स्वीकार हो

त्याग व समर्पण......ही जीवन में
प्रेम का सबसे बड़ा आधार हो


गौत्तम

©Dheeraj Gauttam

राम जी सा प्यार हो पांडवों जैसा विचार हो नारी मांगे तो स्वर्ण हिरण ....लाने चले जाए सम्मान पर आंच आए तो महाभारत के लिए तैयार हो रावण के अनेकों अत्याचार हो पर अपने प्रेम की रक्षा के लिए शत्रुओं का संहार हो नारीत्व भी ऐसा जिसमे अग्नि परीक्षा भी स्वीकार हो त्याग व समर्पण......ही जीवन में प्रेम का सबसे बड़ा आधार हो गौत्तम ©Dheeraj Gauttam

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 राम लहरी

धुंद झाले अवघे त्रैलोक्य
राम लहरी उमटल्या येथ
राम नामात दंग झाले सर्व
नाही दुःखाचा लवलेश तेथ  १

भवसागर खास पार होईल
अविनाश ब्रम्ह समजेल
घेता रामनाम निशिदिनी
संसाराचे मर्म उमजेल.  २

©somadatta kulkarni

राम लहरी धुंद झाले अवघे त्रैलोक्य राम लहरी उमटल्या येथ राम नामात दंग झाले सर्व नाही दुःखाचा लवलेश तेथ १ भवसागर खास पार होईल अविनाश ब्रम्ह समजेल घेता रामनाम निशिदिनी संसाराचे मर्म उमजेल. २ ©somadatta kulkarni

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#न्यूज़  रामालय 22.01.2024

चहुं ओर नाम राम का
यह दिन साक्षी अमर काम का
पथ-पथ है जग-मग दीपों से
रामनगरी अयोध्या धाम का

उल्लासित मन, पुलकित रोम-रोम
प्रभु श्रीराम का है उपकार
वर्षों का श्रम, साकार हुआ
मिट गये समस्त भ्रम, विकार

रामालय का शुभारंभ, आस्था-सागर
भर लो प्रेम से मन-मस्तिष्क-गागर
ईश्वर एक हैं, मानवता धर्म सर्वोपरि
न बनो ईष्या, द्वेष, घृणा के सौदागर

न तुम हारे, न मैं जीता बस
ये काम प्रभु के नाम हुए
तुम्हारे अल्लाह, उसके गुरु, मसीह
और वही मेरे श्रीराम हुए
जय श्री राम
"कुछ भी बड़ा नहीं"
राज कुमार 'राज'

©Raj Kumar Raj

रामालय 22.01.2024 चहुं ओर नाम राम का यह दिन साक्षी अमर काम का पथ-पथ है जग-मग दीपों से रामनगरी अयोध्या धाम का उल्लासित मन, पुलकित रोम-रोम प्रभु श्रीराम का है उपकार वर्षों का श्रम, साकार हुआ मिट गये समस्त भ्रम, विकार रामालय का शुभारंभ, आस्था-सागर भर लो प्रेम से मन-मस्तिष्क-गागर ईश्वर एक हैं, मानवता धर्म सर्वोपरि न बनो ईष्या, द्वेष, घृणा के सौदागर न तुम हारे, न मैं जीता बस ये काम प्रभु के नाम हुए तुम्हारे अल्लाह, उसके गुरु, मसीह और वही मेरे श्रीराम हुए जय श्री राम "कुछ भी बड़ा नहीं" राज कुमार 'राज' ©Raj Kumar Raj

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