Mantri ji
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Mantri Ji गवगवा कुणी म्हणते असेही की हवा नाही... तसा त्याचा कुठेही गवगवा नाही! कुठे केली कुणी कामे विकासाची... जसे कळले गरम काही तवा नाही! कसा व्हावा बरा आजार नेत्यांचा... नियत त्यांची सुधाराया दवा नाही! खरे तर माणसे आपण भुईवरची... उडाया पाखरांचा हा थवा नाही! करावा लोकशाहीचा जरा आदर... तिच्या छायेतल्यासम गारवा नाही! जयराम धोंगडे ©Jairam Dhongade

#मराठीशायरी #WForWriters  Mantri Ji गवगवा

कुणी म्हणते असेही की हवा नाही...
तसा त्याचा कुठेही गवगवा नाही!

कुठे केली कुणी कामे विकासाची...
जसे कळले गरम काही तवा नाही!

कसा व्हावा बरा आजार नेत्यांचा...
नियत त्यांची सुधाराया दवा नाही!

खरे तर माणसे आपण भुईवरची...
उडाया पाखरांचा हा थवा नाही!

करावा लोकशाहीचा जरा आदर...
तिच्या छायेतल्यासम गारवा नाही!

जयराम धोंगडे

©Jairam Dhongade

#WForWriters

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#राजनीति #बुद्धि #अदनासा #हिंदी #विचार #विवेक  Mantri Ji राजनैतिक ज्ञान अर्जित करने एवं समझने हेतु, बुद्धि एवं भावनाएं नही बल्कि विवेक की आवश्यकता होती है, क्योंकि राजनीति बुद्धि को भ्रष्ट करने तथा भावनाओं से खेलने में दक्ष होती है।

©अदनासा-
#अवश्यंभावी #मृत्यु #जनसेवक #अदनासा #हिंदी #पहाड़  Mantri Ji लेकर धर्म की आड़ में जनसेवक तुम
हर एक दिन बनाते हो राई का पहाड़
पर क्यों मानवता हर दिन गाड़ के तुम
सोचते हो कोई क्या लेगा मेरा बिगाड़
स्मरण रहे हाड़ मांस के पुतले हो तुम
मृत्यु अवश्यंभावी है तुमको लेगी ताड़

©अदनासा-

Mantri Ji -कुण्डलिया छंद - नेताजी के इस दफा, फेल हुए सब जैक। टिकट कटा तो आ गया, उनको हार्ट अटैक।। उनको हार्ट अटैक, डले दिल में दो छल्ले। साथ गए सब छोड़, अकेले पड़े निठल्ले।। करें संगठन कार्य, नहीं वह इसको राजी। लड़ने आम चुनाव, स्वतंत्र खड़े नेताजी।। -हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #WForWriters  Mantri Ji -कुण्डलिया छंद -
नेताजी के इस दफा, फेल हुए सब जैक।
टिकट कटा तो आ गया, उनको हार्ट अटैक।।
उनको हार्ट अटैक, डले दिल में दो छल्ले।
साथ गए सब छोड़, अकेले पड़े निठल्ले।।
करें संगठन कार्य, नहीं वह इसको राजी।
लड़ने आम चुनाव, स्वतंत्र खड़े नेताजी।।
-हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#WForWriters

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#চিন্তা #Quote  Mantri Ji 
হাতি শক্তিশালী হলেও  তারও সীমাবদ্ধতা আছে।
তেমনি প্রভাবশালীর ক্ষমতাও অসীম নয়।
প্রমাণ-- হাতির কানে একটা পিঁপড়ে ঢুকে গেলে সেটা বোঝা যায়।

©SHIB SANKAR MAITRA

#Quote

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#व्यंग्य #राजनीति #कॉमेडी #लोकपाल #अदनासा #हिंदी  Mantri Ji लोकपाल फले फूले पल जाए
ऐसा एक महाबिगुल बजा था
अब जाने किस पाताल में
लोकपाल को पलायन करवा दिया
पहले बहुत पठन पाठन हुआ
खूब ज़ोरों से महिमा मंडन भी
पर अब लापता लोकपाल का
चर्चा करना भी जैसे पाप है
वैसे हमारे प्रिय जनसेवक जी
जाने क्या क्या पाल बैठते हैं
बस एक यह लोकपाल है
जो पाले नही पलता है
डर है यह पल गया तो
तो सबको पाला ना मार जाए
बेवजह पाला क्यों पड़वाए
इसलिए लोकपाल से
पल्ला ही झाड़ लिया है

©अदनासा-
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