अकेले है तो क्या हुआ अन्याय हम नहीं सहेंगे
माना कि तुम बलवान हो, निर्बल हम भी नहीं
माना तुम धनवान हो, निर्धन इतने हम भी नहीं
धोखाधड़ी हमे आती नही है, अधिकार हमारे हम जानते हैं
लडेंगे अपने अधिकार के लिए पर धोखा किसी से करेंगे नहीं
मनुष्य होकर मानवता हम जानते हैं
छल-कपट से दूर हम, बस इंसान के अंर्तमन को नहीं जान पाते हैं हम
कौन अपना है कौन पराया है यह भेद ना जान पाते हैं हम
पर अधिकार हमारे क्या है मानव है मानवता को जानते हैं
©p. bhargav
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