मोहलतें चादरों में लपेटकर एक भी न दी मुहब्बत मेरे नसीब में नहीं, यादें फिर क्यों दिल में दी.. कहते कि इश्क की लिबास तो दिल ही है... अरे उसे पर भी परत दर परत क.
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