मैंने लिखा था बहुत पहले....... कि, थकान की किमत तुझे पता कहां....? चले थे बड़े शौक से वक्त ए बर्बादी करने सो देख अब, वो कहां..... और मैं कहां...? अज़िय्यत शा.
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