शहर
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हमें पता था तुम कहीं और के मुसाफिर थे! हमारा शहर तो बस यूँ हीं रास्ते में आया था!! ©Prakash Vats Dubey

#शहर  हमें पता था तुम कहीं और के मुसाफिर थे! 
हमारा शहर तो बस यूँ हीं रास्ते में आया था!!

©Prakash Vats Dubey

#शहर

9 Love

कोई नहीं जानता। मां से बढ़ कर उस शहर की आवो हवा, जहां रहकर उसका बेटा आया हो। ©मनीष की डायरी

#विचार #शहर  कोई नहीं जानता।
मां से बढ़ कर उस शहर की आवो हवा,
जहां रहकर उसका बेटा आया हो।

©मनीष की डायरी

#शहर

10 Love

#मेरे_शहर_में #कविता #शहर  मेरे शहर में दिखने की बड़ी होड़ है।
तू बड़ा कि मैं बड़ा इसकी लगी दौड़ है।

दौलत के पैमाने में, बड्डपन तौलकर।
मुफ्त में मज़हबी जहर घोलकर।
खुश हैं वो छाती के बटन खोलकर।

मेरे शहर में, दिखने की बड़ी होड़ है।
तू बड़ा कि मैं बड़ा, इसकी लगी दौड़ है।

रिश्ते बरकरार,जिनकी जेबें ग़रम हैं।
बेचकर ईमान वो कितने नरम हैं।
बड़े अदब से आते हैं पेश, बेशरम हैं।

मेरे शहर में, दिखने की बड़ी होड़ है।
तू बड़ा कि मैं बड़ा, लगी इसकी दौड़ है

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
#शहर  कुछ अधूरी बातों को तूने छूकर लबों से,
ख्वाबों के तसव्वुर का, अहसास कर दिया।

इस गुमसुम सी शाम के लम्स ने देखो ना,
तेरी यादों को मन के कितना, पास कर दिया ।

वो दूर किनारे बैठी, सादा सी लड़की को,
 गालों पर उलझी जुल्फों ने, ख़ास कर दिया।

©Rajat Pratap Singh

#शहर

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शहरो मे अजिब इंसान रहेते है घरो मे कुत्ता पालके रखे है और बाहर सडक पर मां बाप भुखे प्यासे भटक रहे है.. ©ganesh suryavanshi

#विचार #शहर  शहरो मे अजिब इंसान रहेते है
घरो मे कुत्ता पालके रखे है
और बाहर सडक पर मां बाप भुखे प्यासे भटक रहे है..

©ganesh suryavanshi

#शहर

10 Love

खाबो की ईंट से एक घर बनाऊंगा। में तारिक रात में जुगनू बन जाऊंगा। इस बार जो लौटा हूं शहर को सनम। अब फ़िर पलट के गांव ना आऊंगा। ©Mohd Shuaib Malik~सनम

#शायरी #mohdshuaibmalik #शहर #snam  खाबो की ईंट से एक घर बनाऊंगा।
में तारिक रात में जुगनू बन जाऊंगा।
इस बार जो लौटा हूं शहर को सनम।
अब फ़िर पलट के गांव ना आऊंगा।

©Mohd Shuaib Malik~सनम
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