मुझे खुद को इस दुनिया से काट लेना है खुद को अनगिन | हिंदी शायरी

"मुझे खुद को इस दुनिया से काट लेना है खुद को अनगिनत हिस्सो मे बांट लेना है करनी है तुरपाई फिर अपने जख्मों की और फिर हरे जख्मों पर नमक डाल देना है विनीत कुमार मित्तल ©AWARA PARINDA"

 मुझे खुद को इस दुनिया से काट लेना है

खुद को अनगिनत हिस्सो मे बांट लेना है

करनी है तुरपाई फिर अपने जख्मों की

और फिर हरे जख्मों पर नमक डाल देना है



विनीत कुमार मित्तल

©AWARA PARINDA

मुझे खुद को इस दुनिया से काट लेना है खुद को अनगिनत हिस्सो मे बांट लेना है करनी है तुरपाई फिर अपने जख्मों की और फिर हरे जख्मों पर नमक डाल देना है विनीत कुमार मित्तल ©AWARA PARINDA

#ChaltiHawaa

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