"भुलाकर मोहब्बत मेंरी तुम रह पाओगे क्या ?
होकर दूर मुझसे, तुम ज़ी पाओगे क्या ?
औऱ जब पूछेगा सवालात ज़माना
तों मेंरा ना होंना तुम कह पाओगे क्या ?
साथ रहनें का जो वायदा किया था
ताउम्र तुम वायदा निभा पाओगे क्या ?
औऱ अगर ना लौटी मैं ज़ाहिरा
तो फ़िर मुझे तुम भुला पाओगे क्या ?"