रवीना साहू

रवीना साहू Lives in Dehradun, Uttarakhand, India

बेबाक रवीना बेहद कटु । ज़ाहिरा ❤️

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ईद की ईदी कैसी होगी ? एक बोसा गालों पर, औऱ एक प्यारी सी झपकी होगी।

#शायरी #shyri #Eid  ईद की  ईदी  कैसी होगी ?
एक बोसा गालों पर, 
औऱ एक प्यारी सी  झपकी होगी।

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#nojoto

8 Love

पता हैं ? तुम तक पहुँचने क़े लिए मुझे तुम तक नही आना पड़ता। बस दिल क़ि गहराई में झांक लिखती हूं। जहां सिर्फ तुम हों। मेरे इश्क में गोते लगाते हुए, अपनी कश्ती को संवारते हुए। तुम्हारी कश्ती मेरे दिल की हर कोने से होकर जाना चाहती है, हर उस मोड़ से, जहां मैं खड़ी थी। सिर्फ तुम्हारे इंतजार में।

#nojot #shyri  पता हैं ? 
तुम तक पहुँचने क़े लिए
मुझे तुम तक नही आना पड़ता।

बस दिल क़ि गहराई में झांक लिखती हूं।
जहां सिर्फ तुम हों।
मेरे इश्क में गोते लगाते हुए,
 अपनी कश्ती को संवारते हुए।

 तुम्हारी कश्ती मेरे दिल की हर कोने से होकर जाना चाहती है,
 हर उस मोड़ से, जहां मैं खड़ी थी।

 सिर्फ तुम्हारे इंतजार में।

Internet Jockey Satyaprem Dalchand Amit Sharma Mukesh Poonia #shyri #nojot #

19 Love

ख़फा खफ़ा फिरते हो हाल अपना बताते क्यों नही। क्या ग़म है तुम्हें, हक़ मुझ पर अब जमाते क्यों नही। क्या बुरा लगा क्या भला लगा माज़रा क्या है कुछ अल्फ़ाज़ ज़ज़्बातों क़े दिखाते क्यों नही । दूर दूर रहते हो, पास होकर भी दूर हो कबसे रूठी हूँ मैं तुमसे तुम मुझे मानते क्यों नही ।

#Nojotovoice #Nojoto #5words  ख़फा खफ़ा फिरते हो हाल अपना बताते क्यों नही।
क्या ग़म है तुम्हें, हक़ मुझ पर अब जमाते क्यों नही।

क्या बुरा लगा क्या भला लगा माज़रा क्या है 
कुछ अल्फ़ाज़ ज़ज़्बातों क़े दिखाते क्यों नही ।

दूर दूर रहते हो, पास होकर भी दूर हो 
कबसे रूठी हूँ मैं तुमसे तुम मुझे मानते क्यों नही ।

इकतारा जैसा मेंरा मन सारंग और कंप तन भीतर से कोमल बाहर से ठोस काठ चमड़े से मढ़ा मानों जीवन इसमें कड़ा साँचा लकड़ी का सजा जल जल कर ही ठोस ब ना। धुन जो निकलें ह्रदय से होकर चीख़ पुकार कभी मधुर मधुर और रेश्म क़े धागे वो ताना बाना डोर का खीचों तो स्वर निकले जैसे ठहरति कोई उमंग इकतारा जैसा मेंरा मन सारंग और कंप तन इकतारा जैसा मेरा मन

#Nojotovoice #Nojoto #Art  इकतारा जैसा मेंरा मन
सारंग और कंप तन 
भीतर से कोमल
बाहर से ठोस

काठ चमड़े से मढ़ा
मानों जीवन इसमें कड़ा
साँचा लकड़ी का सजा
जल जल कर ही ठोस ब ना।

धुन जो निकलें
ह्रदय से होकर
चीख़ पुकार
कभी मधुर मधुर 
और
रेश्म क़े धागे 
वो ताना बाना डोर का
खीचों तो स्वर निकले
जैसे ठहरति कोई उमंग 

इकतारा जैसा मेंरा मन
सारंग और कंप तन 
इकतारा जैसा मेरा मन

‌भुलाकर मोहब्बत मेंरी तुम रह पाओगे क्या ? होकर दूर मुझसे, तुम ज़ी पाओगे क्या ? औऱ जब पूछेगा सवालात ज़माना तों मेंरा ना होंना तुम कह पाओगे क्या ? साथ रहनें का जो वायदा किया था ताउम्र तुम वायदा निभा पाओगे क्या ? औऱ अगर ना लौटी मैं ज़ाहिरा तो फ़िर मुझे तुम भुला पाओगे क्या ?

#Nojoto #pyaar #Art  ‌भुलाकर मोहब्बत मेंरी तुम रह पाओगे क्या ? 
होकर दूर मुझसे, तुम ज़ी पाओगे क्या ? 

औऱ जब पूछेगा सवालात ज़माना
तों मेंरा ना होंना तुम कह पाओगे क्या ? 

 साथ रहनें का जो वायदा किया था
ताउम्र तुम वायदा निभा पाओगे क्या ? 

औऱ अगर  ना लौटी मैं ज़ाहिरा
तो फ़िर मुझे तुम भुला पाओगे क्या ?
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