धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं, सर्द रिश्त | हिंदी Video

"धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं, सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं। ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो, मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं। ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की, सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं। सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे, कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं। तुम वज़ीर को मार कर अपनी जीत मुकम्मल मानते हो, मैं प्यादे से बादशाह को हराने वाले दांव की तलाश में हूं। बेज़ान रुहों मे सांसें फसी हुई हैं उम्मीद लिए, जिंदगी जिंदा लगे ऐसे ख़्वाब की तलाश मे हूं। दर दर भटका हूं ढूंढने वजूद ख़ुदा का, अब जा के समझ आया अपने आप की तलाश में हूं। ©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" "

धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं, सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं। ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो, मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं। ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की, सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं। सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे, कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं। तुम वज़ीर को मार कर अपनी जीत मुकम्मल मानते हो, मैं प्यादे से बादशाह को हराने वाले दांव की तलाश में हूं। बेज़ान रुहों मे सांसें फसी हुई हैं उम्मीद लिए, जिंदगी जिंदा लगे ऐसे ख़्वाब की तलाश मे हूं। दर दर भटका हूं ढूंढने वजूद ख़ुदा का, अब जा के समझ आया अपने आप की तलाश में हूं। ©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

#Nightlight धूप भरी दोपहर में छांव की तलाश में हूं,
सर्द रिश्तों में गर्माहटों की ख़ातिर अलाव की तलाश मे हूं।
ख़िलाफ़ बह सके दरिया की मौजों के जो,
मैं ऐसी किसी एक मजबूत नाव की तलाश में हूं।
ऊब चुका हूं रंगीनियों से शहरों की,
सुकून दे जो ऐसे गांव की तलाश में हूं।
सुन्न पड़ गये हैं कुछ तरह ख़्याल मेरे,
कुरेद कर जगाने के लिए गहरे घाव की तलाश में हूं।

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