"शिकायत है मुझसे सभी को..
अब मैं कुछ बदल सी गई हूँ..
कहते हैं कि कुछ खोई खोई रहती हूँ..
साथ होते हुए भी साथ नहीं होती हूँ..
पूछते हैं आखिर कहाँ रहती हूँ..
अब नादानों को क्या बताऊँ.. कि,
मैं तो अब तुम्हारी सोच में रहती हूँ.."
शिकायत है मुझसे सभी को..
अब मैं कुछ बदल सी गई हूँ..
कहते हैं कि कुछ खोई खोई रहती हूँ..
साथ होते हुए भी साथ नहीं होती हूँ..
पूछते हैं आखिर कहाँ रहती हूँ..
अब नादानों को क्या बताऊँ.. कि,
मैं तो अब तुम्हारी सोच में रहती हूँ..