White मैं बहुत थक गया हूँ माँ
तुम्हारे आँचल में सोना चाहता हूँ।
छोटे कमरे में माँ न जाने क्यों ?
नींद अब जल्द आती नहीं ,
सोता हूँ तो सोता रहता हूँ माँ
कोई आवाज़ मुझे जगाती नहीं ।
झाड़ू ,पोछा ,बर्तन , खाना
बस इतने में माँ पसीना आ जाता है ,
पर इसी बहाने न माँ मुझे
तुम्हारी तरह जीना आ जाता है ।
अब कोई ख्वाहिश नहीं माँ
बस तुम्हारी गोद सा बिछौना चाहता हूं ।
तुम्हारे हाथ का पकवान माँ
रह रह कर याद आता है ,
पर अब दाल पकती ही नहीं
कभी चावल कच्चा रह जाता है ।
इन रोटियों की बनावट माँ
मुझे अक्सर चिढ़ाती है ,
अक्सर कपड़े धुलने में माँ
बटन भी टूट जाती है ।
जो नहीं सीखा वो सिखा देना माँ
मै फिर छोटा होना चाहता हूँ।
हमारा भी राज था कभी माँ तुम
रोज राजकुमार सा सजाती थी ,
बस मुंह से निकलते हर चीज
मेरे सामने आ जाती थी ।
मसरूफ हूँ अब मैं इस कदर
कि पहले सा इतवार नहीं आता ,
माँ तुम क्यों नहीं हो मेरे पास अब
क्या अब मुझ पर प्यार नहीं आता ?
परेशान हूँ मै इस कदर माँ कि
तुम्हारे आगोश में रोना चाहता हूँ ।
मै बहुत थक गया हूँ माँ
तुम्हारे आँचल में सोना चाहता हूँ ।
©दिनेश
#mothers_day कुछ पंक्तियाँ माँ के लिए 🙏